पौंग बांध विस्थापित समिति ने लिया फैसला, श्रीगंगानगर मेंलेंगे जमीन नहीं तो देंगे धरना

Thursday, Oct 25, 2018 - 10:44 AM (IST)

ज्वाली: पौंग बांध विस्थापित समिति की बैठक विश्रामगृह ज्वाली में हुई, जिसकी अध्यक्षता समिति के वरिष्ठ रामपाल वर्मा ने की। रामपाल वर्मा ने कहा कि 3 जुलाई, 2018 को हिमाचल प्रदेश व राजस्थान के चीफ सैक्रेटरी की मीटिंग हुई थी, जिसमें फैसला लिया गया था कि विस्थापितों को श्रीगंगानगर की 5 तहसीलों में ही जमीन दी जाए, लेकिन अब पौंग विस्थापितों को जैसलमेर सहित अन्य वार्डर एरिया में जमीन दी जा रही है, जहां पर कोई भी मूलभूत सुविधा नहीं है। रामपाल वर्मा ने कहा कि पौंग बांध विस्थापितों को यह फैसला कतई मंजूर नहीं है।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा हाई पावर कमेटी की 23वीं मीटिंग में निर्णय लिया गया था कि पौंग विस्थापितों को श्रीगंगानगर में जमीन दी जाए अन्यथा 47 साल का मुआवजा सहित जमीन की कीमत दी जाए परंतु इसको भी लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पौंग बांध विस्थापित श्रीगंगानगर में ही जमीन लेंगे और अगर नहीं दी गई तो मजबूरन दिल्ली जंतर-मंतर पर शांतिपूर्वक धरना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पौंग बांध बनने के समय 20,722 परिवार विस्थापित हुए थे जिसमें से 16,153 वैद्य पाए गए। वर्ष 1972-73 में 9197 परिवारों को मुरब्बे दिए गए, लेकिन उसके डेढ़ साल बाद 6600 मुरब्बों को रद्द कर दिया गया और आज तक उनको मुरब्बे नहीं मिल पाए हैं। उन्होंने कहा कि 1188 राजरकबों पर भी अवैध कब्जे हैं, जिनको राजस्थान सरकार बिजली-पानी दे रही है और अवैध कब्जाधारी फसल निकाल रहे हैं।

इसके अतिरिक्त 2000 मुरब्बों पर लालगडिय़ों का कब्जा है जिनको भी छुड़वाया नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा कि पौंग बांध विस्थापितों के लिए श्रीगंगानगर में रिजर्व 2.20 एकड़ जमीन में से कितनी जमीन पौंग बांध विस्थापितों को दी गई है और कितनी शेष बचती है, उसके बारे में बताया नहीं जाता है। उन्होंने कहा कि विस्थापित आज भी विस्थापित हैं। उन्होंने प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार से मांग की है कि पौंग विस्थापितों को अतिशीघ्र मुरब्बे दिलाए जाएं, ताकि विस्थापितों को उनका हक मिल सके। इस मौके पर उपाध्यक्ष प्यारे लाल, मदन मोहन चौधरी, उत्तम चंद, सोम राज, राजिंद्र कुमार, मदन लाल, संतोष कुमारी व सुदेश कुमारी इत्यादि मौजूद रहे।
 

kirti