आशियाना बना राजनीति का अखाड़ा, कहां जाएं बेसहारा

Tuesday, Jul 11, 2017 - 05:21 PM (IST)

बिलासपुर: गौसदन तैयार होने के बावजूद बेसहारा पशुओं को अभी तक सहारा नहीं मिला है। हम बात कर रहे हैं बरमाणा के लघट गांव की, जहां यह सब देखने को मिल रहा है। बरमाणा पंचायत के पूर्व प्रधान रमेश कुमार ने कहा कि बरमाणा के लघट गांव में तैयार गौसदन का निर्माण कार्य उनके कार्यकाल वर्ष 2014 में शुरू हो हुआ था, जिसके लिए उस समय सरकार का फंड भी नहीं आया था।

गौसदन की फाऊंडेशन में लगाया अपना फंड 
उन्होंने कहा कि गौसदन के निर्माण के समय पंचायत व बी.डी.सी. सदस्यों ने ही अपने फंड से लगभग 10 लाख रुपए इस गौसदन की फाऊंडेशन में लगा दिए थे क्योंकि सबसे पहले गौसदन निर्माण के लिए मैटीरियल पहुंचाने के लिए सड़क का निर्माण आवश्यक था। उसके बाद जिस स्थान पर गौसदन का निर्माण हुआ है, वहां पर पहाड़ था जिसे समतल करने के लिए 3 जे.सी.बी. लगाई गई थीं। उन्होंने बताया कि वर्तमान पंचायत को सिर्फ  कमरे तैयार करने थे जिन्हें तैयार हुए भी काफी समय हो चुका है परंतु पंचायत प्रधान की लेटलतीफी के कारण बेसहारा पशु अभी भी सड़क पर हैं। 

गौसदन को लेकर हो रही राजनीति
उन्होंने कहा कि गौसदन को लेकर भी राजनीति खेली जा रही है कि तैयार हुए गौसदन का उद्घाटन भाजपा ही करेगी। उन्होंने कहा कि यदि पंचायत प्रधान ने जल्द ही पशुओं को सहारा नहीं दिया तो गांववासी पशुओं को जबरन गौसदन में बांधेंगे। उन्होंने कहा कि गौसदन जैसे नैतिक कार्यों को चलाने के लिए सरकार पर ही निर्भर नहीं होना चाहिए बल्कि एक कमेटी का गठन कर स्वयं पंचायत भी इस नैतिक कार्य को लोगों के सहयोग से चला सकती है। उन्होंने बताया कि गौसदन भवन के तैयार होते ही हैंडपम्प द्वारा पानी की व्यवस्था भी हो चुकी है। 

पशुओं की देखभाल को कर्मचारी की आवश्यकता
उधर, इस बारे में बरमाणा पंचायत प्रधान मंजू मनहंस का कहना है कि गौसदन तैयार हो चुका है और जल्द ही पशुओं को गौसदन में लाया जाएगा परंतु पशुओं की देखभाल के लिए कर्मचारी की आवश्यकता है जिसके लिए फंड को लेकर पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर सरकार को सौंप दिया है।