सांप के काटने का यहां उतरता है विष, पांच सन्यासियों के समाधि लेने से बने थे पांच पीपल (Video)

punjabkesari.in Friday, Nov 08, 2019 - 10:18 AM (IST)

ऊना (अमित): भारत देवी-देवताओं की पवित्र भूमि है और इसमें हिमाचल प्रदेश को विशेष रूप से देवों की स्थली माना गया है। जिला में अंब-ऊना संपर्क मार्ग पर बसाल से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर गांव नारी में विराजमान ब्रह्मचार्य डेरा बाबा रुद्रु के नाम से सुप्रसिद्ध अपनी समसामयिक, सामाजिक, अध्यात्मिक तथा रचनात्मक गतिविधियों के कारण विशेष व महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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इस आश्रम का प्रमुख देवता अग्रिदेव है, अत: आश्रम में हजारों लाखों श्रद्वालु यहां केवल अखंड अग्रि के प्रति अपनी श्रद्धा भेंट करने के लिए अखंड धूना के सम्मुख नतमस्तक होते हैं। 
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इस अखंड धूने को 1850 में बाबा रुद्रानंद जी ने बसंत पंचमी के दिन अग्नि देव की साक्षी में स्थापित किया था। अखंड धूने से देश-विदेश के लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है और रोजाना यहां सैकड़ों लोग नतमस्तक होते हैं।
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इस धूने में हर रोज वैदिक मंत्रों से हवन डाला जाता है, यह सिलसिला शुरू से चलता आ रहा है। अखंड धूने की विभूति को लोग चमत्कारिक मानते हैं। वर्तमान में डेरा के अधिष्ठाता एवं वेदांताचार्य सुग्रीवानंद महाराज सालों से चली आ रही इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
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हर साल पंचभीष्म के उपलक्ष्य में कोटि गायत्री महायज्ञ होता है। जिसमें बनारस से आए विद्धान विधिवत पूजा अर्चना करवा रहे हैं। जबकि 500 से अधिक पंडित यज्ञशाला में कोटि गायत्री का जाप कर रहे हैं।
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