कुल्लू में हिंदी दिवस पर सजी कवियों की महफिल, देवसदन में गूंजी कविताएं

Saturday, Sep 14, 2019 - 08:27 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप): कुल्लू के देवसदन में हिंदी दिवस पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने कवि गोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर बहुभाषी कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष व जिला परिषद की सदस्य धनेश्वरी ठाकुर ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की। संस्था की अध्यक्ष डॉ. रीता ने मुख्यतिथि को कुल्लवी टोपी, मफलर व स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 400 कविताएं लिखने वाले खराहल घाटी के प्रदीप कुमार को परिषद ने सम्मानित किया। कार्यक्रम का श्रीगणेश मुख्यातिथि धनेश्वरी ठाकुर द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

इस अवसर पर संस्था की अध्यक्ष ने बताया कि 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो बहुभाषी वाले इस देश के लिए राजभाषा चुनने को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया। लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 14 सितम्बर,1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के रूप में चुनने का निर्णय लिया। इसी के साथ अंग्रेजी को भारत में हिंदी के साथ-साथ एक अतिरिक्त आधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया।

बताया जाता है कि संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। हालांकि हिंदी को राजभाषा के रूप में चुनना आसान नहीं था। इसके लिए कई निष्ठावान समर्थकों ने हिंदी के पक्ष में रैलियां और पैरवी की। इन लोगों में सबसे उल्लेखनीय व्यक्ति व्यौहार राजेन्द्र सिन्हा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास रहे, जिन्होंने इस मुद्दे पर संसद में भी बहस की थी। इस अवसर पर कवि व समाज के बुद्विजीबि वर्ग उपस्थित रहे।

Vijay