Phone Tapping Case : विजीलैंस-सी.आई.डी. से रिकॉर्ड कब्जे में लेगी पुलिस

Sunday, Aug 19, 2018 - 09:56 PM (IST)

शिमला (राक्टा): पूर्व डी.जी.पी. आई.डी. भंडारी की शिकायत पर दर्ज की गई एफ.आई.आर. के तहत पुलिस अब रिकॉर्ड कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके तहत स्टेट विजीलैंस और सी.आई.डी. से भी रिकॉर्ड कब्जे में लिया जाएगा। फोन टैपिंग को लेकर झूठा केस बनाने से जुड़े इस मामले में कई तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। इसके साथ ही कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों पर भी जांच की आंच आ सकती है।

अधिकारियों ने मिलीभगत कर बनवाया झूठा केस
भंडारी का आरोप है कि कुछ अधिकारियों ने आपसी मिलीभगत कर उन पर फोन टैपिंग का झूठा केस बनवाया और सी.आई.डी. के गोपनीय तकनीकी सैल में गैर-कानूनी तरीके से प्रवेश कर वहां से अतिगोपनीय सूचनाओं वाले कम्प्यूटरों से छेडख़ानी की। इनसे निजी सूचनाएं निकालकर उन्हें सार्वजनिक किया। दर्ज एफ.आई.आर. में किसी अधिकारी को आरोपी के रूप में नामजद तो नहीं किया गया है लेकिन छानबीन के दौरान आगामी दिनों में प्रशासन और पुलिस में तैनात कुछ अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शिकायत पत्र में 14 बिंदुओं का उल्लेख किया गया है। ऐसे में संबंधित ङ्क्षबदुओं से जुड़े पहलुओं को जांच टीम अब खंगालना शुरू करेगी।

गोपनीय सैल में अनधिकृत तरीके से घुसे अफसर
पूर्व डी.जी.पी. भंडारी ने शिकायत पत्र में आरोप लगाया है कि जब उनके पास ए.डी.जी.पी. सी.आई.डी. का भी चार्ज था तो उसी दौरान 24 दिसम्बर, 2013 की आधी रात को कुछ अफसरों ने सी.आई.डी. के गोपनीय तकनीकी सैल में अनधिकृत रूप से प्रवेश किया। वहां से जिन कम्प्यूटरों को हटवाया गया, उनमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने असामाजिक तत्वों की गुप्त सूचनाएं थीं जिन्हें कई साल तक कानूनन एकत्र किया गया था।

बहुत से टॉप सीक्रेट किए गए सार्वजनिक
पूर्व डी.जी.पी. का यह भी आरोप है कि कार्यालय में उनकी अलमारी को उन्हें विश्वास में लिए बगैर गैर-कानूनी तरीके से हटवाया गया। कई दस्तावेज और सामान भी कब्जे में लिया जो उन्हें नहीं लौटाया गया। उनका आरोप है कि झूठा केस दर्ज कर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया।

Vijay