बक्कर खड्ड में नहीं पुल, लोगो को हमीरपुर पहुंचने के लिए तय करना पड़ रहा लम्बा सफर

Monday, Oct 08, 2018 - 10:48 AM (IST)

संधोल: संधोल तहसील व टिहरा उपतहसील के अंतर्गत आने वाले भदेहड़, टोरखोला, कुन, लखरेहड़, फनेहल, बलेहड़, जरेड़, कांगोटा, टोरखोला, देवगढ़, चोलगढ़, खजूरट्टी, दयोल, रसाड़ी, मझैरअ व बलेहड़ आदि गांवों की जनता को हमीरपुर जाने के लिए वाया संधोल या वाया अवाहदेवी जाना पड़ता है, जिसके लिए उन्हें हमीरपुर पहुंचने के लिए 25-30 किलोमीटर के बजाय 100 किलोमीटर के करीब सफर करना पड़ता है। हालांकि दोनों तरफ सड़कें बक्कर खड्ड तक बन गई हैं, लेकिन पुल न होने के कारण बरसात में एक तरफ से दूसरी तरफ आना-जाना बंद हो जाता है। हालांकि भाजपा व कांग्रेस की सरकारों ने पुल बनाने की कई बार घोषणाएं की हैं, जो अभी तक कोरी ही साबित हुई हैं।

सरकार तो बन गई पर 3 महीने में नहीं बना
जिला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने कहा कि इस पुल के निर्माण के लिए 2015 में अढ़ाई करोड़ रुपए के बजट का एस्टीमेट पी.डब्ल्यू.डी. ने शिमला स्वीकृति के लिए भेजा था, लेकिन वह अभी तक मंजूर नहीं हुआ है, जबकि वर्तमान सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह ने क्षेत्र की जनता से चुनाव पूर्व वायदा किया था कि प्रदेश में भाजपा की सरकार व उनके मंत्री बनने के 3 महीनों के भीतर इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा, लेकिन सरकार को बने 9 महीने हो गए, लेकिन इस पुल के निर्माण के लिए न तो बजट का प्रावधान किया और न ही कोई बात करता है।

चुनावों से पहले ही करते हैं नेता पुल बनाने की बातें
हिमाचल किसान सभा की क्षेत्रीय कमेटी के प्रधान प्रकाश चंद के अलावा सदस्य भाग सिंह लखरवाल, लुददर सिंह, मनोहर लाल, रोशन लाल, रणजीत सिंह, राजकुमार, तारा चंद, हेम सिंह, सुख राम, कुलदीप चंद, दुनी चंद, अमर सिंह, शेर सिंह, प्रभु राम, कश्मीर सिंह, गोपाल सिंह, रमन सकलानी, अमर सिंह, भागी, कृष्णा, हरिदास व कृष्ण चंद आदि ने कहा कि कुजाबल्ह के पास पुल निर्माण के लिए 10 वर्ष पूर्व जमीन लोगों ने विभाग के नाम ट्रांसफर कर दी है और उसके बाद भाजपा व कांग्रेस दोनों पार्टियों की सरकारें इस पुल का निर्माण कार्य जल्दी शुरू करने की बातें चुनाव से पहले करते हैं, लेकिन उसके बाद वे अपने वायदों को भूल जाते हैं। हिमाचल किसान सभा ने इस पुल का निर्माण कार्य जल्दी शुरू करने की मांग की है और लोकसभा चुनावों से पहले निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ तो लोग इसके लिए आंदोलन शुरू करेंगे और लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे। आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए संबंधित गांवों के लोगों के साथ इस माह के अंतिम सप्ताह में बैठक की जाएगी।
 

kirti