यहां JNV व सरकार के खिलाफ लामबंद हुए लोग, जानिए क्या है वजह (Video)

Friday, Dec 06, 2019 - 09:32 PM (IST)

धर्मशाला (नृपजीत निप्पी): ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलंद इरादे ही थे कि आजादी के बाद पहली मर्तबा वर्ष 2016-17 के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत 9 हजार करोड़ रुपए का बजट पारित किया गया ताकि भारत के गांवों को स्वच्छ बनाया जा सके, बावजूद इसके प्रधानमंत्री के बुलंद इरादों में उनका सिस्टम किस कदर लीपापोती कर उनकी आंखों में धूल झोंक रहा है, कांगड़ा के गांव पपरोला की एक तस्वीर के जरिये आज हम उस हकीकत से पर्दापण करेंगे।

जेएनवी के तौर पर मिली केंद्र सरकार की सौगात का 30 साल पहले पपरोला के जिन लोगों ने पलकें बिछाकर स्वागत-सत्कार किया था। आज उसी सौगात की खिलाफत के लिए ये लोग अब सड़कों पर उतर आए हैं। लिहाजा जिस शैक्षणिक संस्थान की दीवारें सफाई व्यवस्था कायम करने के नारों से अटी पड़ीं हैं बाकायदा नगर पंचायत ने भी लाखों रुपए खर्च कर सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए दीवारें पीली कर रखी हैं, वहीं सरकारी संस्थान अपने गिरेबान में झांकने को तैयार ही नहीं है।

इतना ही नहीं, जिस स्वच्छता अभियान का मौजूदा सरकारें ढिंढोरा पीटती हैं। मुख्यमंत्री हैल्पलाइन जैसी स्वावलंबी योजनाओं के जरिए समस्याएं हल करने के बातें करती हैं वो उस वक्त बेमानी लगने लगती हैं जब लोग उसकी हकीकत से खुद पर्दा उठाते हैं। इस गंभीर समस्या के हल को लेकर भी हैल्पलाइन ने पपरोला के लोगों के साथ कुछ ऐसा ही छल किया है कि अब ये लोग खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं।

समाज के नुमाइंदे भले ही सार्वजनिक सभाओं में अपने भाषणों में देश-प्रदेश को हर लिहाज से पहली सूची में बताते हों लेकिन जब पपरोला जैसी जगहों की मानिद हकीकत समाने आती है तो फिर एक ही सवाल उठता है कि आज भी स्थिती हाथी के दांत खाने के और और दिखाने के और जैसी ही है।

आलम यह है कि लोगों का चबूतरा और सैप्टिक टैंक आमने-सामने आ गए हैं। बुजुर्गों-बच्चों को सैर-सपाटा मंहगा पड़ रहा है। जेएनवी कैंपस के सैप्टिक टैंक का जहर पेयजल स्त्रोंतो में मिक्स हो रहा है, जिससे पेयजल स्त्रोत जहरीले हो चुके हैं। बार-बार आवाज बुलंद करने के बाद भी नतीजा जीरो ही सामने आया है, जिसके चलते अब लोग सड़क पर उतर कर सरकार व संस्थान के खिलाफलामबंद हो गए हैं।

Vijay