छोटी काशी में लोगों ने देव माधोराय संग धूमधाम से मनाई होली

Friday, Mar 02, 2018 - 01:56 AM (IST)

मंडी: होली पर्व के शुभ अवसर पर छोटी काशी मंडी में भी लोगों ने खूब गुलाल उड़ाया और एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दीं। देश में मनाई जाने वाली होली से एक दिन पहले ही मंडी की होली का खूब रंग जमा। वीरवार को मंडी शहर में होली के मतवाले रंगों की बौछार करते हुए ऐतिहासिक सेरी मंच की ओर बढ़े। चौहाटा और सेरी बाजार में होली के मतवालों की टोलियां सुबह से ही एक-दूसरे पर रंग बिखेरतीं और होली के हुड़दंग में मस्त देखी गईं। इसके पश्चात सारा शहर मानो सेरी पैवेलियन में सिमट कर रह गया।

यहां डी.जे. की धुन पर युवाओं ने जमकर धमाल मचाया। महिलाएं, पुरुष, बच्चे, बूढ़े और जवान सभी होली के रंग में रंगे दिखे। सब अपनी-अपनी धुन में नाच रहे थे। यह मंडी की होली की खासियत है कि यहां रंगों से सभी सराबोर होते हैं मगर किसी तरह की बदनीयती से किसी से कोई छेड़छाड़ नहीं करता। सारा शहर जैसे पारिवारिक माहौल में सेरी के प्रांगण में जश्न मनाता है। शिवरात्रि के बाद राजदेवता माधोराय होली के दिन लोगों के बीच होली का जश्न मनाते हैं। मंडी में राजदेवता माधोराय की भागीदारी इस उत्सव को रियासत के राजा और प्रजा के रिश्तों की प्रगाढ़ता को उजागर करती है। माधोराय मंडी रियासत के राजा रहे हैं। मंडी की होली राजा और प्रजा के बीच आपसी सद्भाव और सौहार्द की प्रतीक है। मंडी की होली की खासियत यह है कि यहां महिलाएं भी बेखौफ  होकर बाजार में होली खेलने आती हैं।


राजदेवता माधोराय की भागीदारी तो रियासतकाल से ही होली में रही है। उस जमाने में मंदिर के प्रांगण में पीतल के बड़े बर्तनों में रंग घोला जाता था। राजा अपने दरबारियों के साथ यहां होली खेलता था। यही नहीं, राजा घोड़े पर सवार होकर प्रजा के बीच भी होली खेलने जाता था। दिनभर सेरी और मंडी की गलियों में होली खेलने के बाद राजदेवता माधोराय की जलेब निकलने के साथ ही मंडी की होली समाप्त हो गई। राजदेवता माधोराय के मंदिर से होली खेलते हुए होली के मतवाले चौहाटा बाजार होते हुए मोती बाजार, समखेतर, बालकरूपी व भूतनाथ बाजार से वापस माधोराय के मंदिर पहुंचे। इसके साथ ही रंगों का यह उल्लास पर्व संपन्न हो गया।