खतरनाक पेड़ों के साए में जीने को मजबूर यहां के लोग

Friday, Jul 14, 2017 - 09:10 AM (IST)

शिमला : शिमला शहर की जनता खतरनाक पेड़ों के साए में जीने को मजबूर हो गई है। बरसात में तेज बारिश अक्सर जनता की नींद हराम कर देती है। हर पल लोग डर के साए में जी रहे हैं कि कहीं तेज बारिश से कोई पेड़ उनके घर पर आकर न गिर जाए। यहां बरसात में आसमान से जमकर आफत बरसती है। जगह-जगह भू-स्खलन होने व बारिश से जिंदगी मुश्किल में फंसी रहती है लेकिन प्रशासकीय स्तर पर इन खतरनाक पेड़ों से निजात दिलाने को अब तक कोई ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है।

समस्या आज भी ज्यों की त्यों 
हालांकि नगर निगम की ट्री अथॉरिटी कमेटी के पास हर साल लोग अपने आसपास खतरनाक व सूखे पेड़ों को काटने के लिए एप्लीकेशन देते हैं लेकिन मामला विभागीय औपचारिकताओं में ही उलझ कर रह जाता है जिससे समस्या आज भी ज्यों की त्यों ही है। इसके लिए कमेटी एक-दो दिनों के भीतर विजिट करेगी। शिमला में बारिश व बर्फबारी के मौसम में लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। अधिकतर क्षेत्रों में देवदार व चीड़ के बड़े-बड़े पेड़ हैं जो कभी भी किसी बड़ी अनहोनी को बुलावा दे सकते हैं।

बर्फबारी से गिरे थे 130 से अधिक पेड़
शिमला में इस साल बर्फबारी के दौरान 130 से अधिक खतरनाक पेड़ गिरे थे जिससे शिमला में जीवन  पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया था। कई पेड़ तो सीधे लोगों के घरों पर जाकर गिरे थे जिससे काफी नुक्सान भी हुआ था। बर्फबारी से गिरे पेड़ों के कारण शिमला शहर में  पूरे 7 दिनों तक बिजली की सप्लाई ठप्प रही थी जिससे लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। ये पेड़ समरहिल, सांगटी, बालूगंज, जाखू, यू.एस. क्लब., न्यू शिमला, लक्कड़ बाजार, नाभा, फागली व भराड़ी तथा संजौली इत्यादि में गिरे थे। बर्फबारी के दौरान सबसे ज्यादा पेड़ बिजली की ट्रांसमिशन लाइनों पर जा गिरे थे जिससे पूरे शहर में विद्युत सप्लाई सिस्टम ध्वस्त हो गया था। इन खतरनाक पेड़ों को काटने की परमिशन विभाग से नहीं मिल पाती है, ऐसे में ये पेड़ बर्फबारी व बरसात में आम जनता को खासे परेशानी में डाल देते हैं।