लोगों का आरोप, भगवान ही बचाए! इस अस्पताल से जहां न तो कोई स्टाफ है और न ही सुविधा

Friday, Aug 18, 2017 - 01:51 PM (IST)

नेरवा: सिविल अस्पताल नेरवा में पसरी अव्यवस्थाएं आए दिन मरीजों पर भारी पड़ रही हैं। अस्पताल में चिकित्सकों की कमी व अन्य अव्यवस्थाओं के चलते न केवल यहां आने वाले मरीजों को अतिरिक्त दर्द सहना पड़ता है बल्कि तीमारदारों को भी कई मुश्किलों से होकर गुजरना पड़ता है। वीरवार को भी अस्पताल का एक ऐसा ही मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत टिकरी के पोषडाह गांव निवासी सुरेंद्र सिंह ने सिविल अस्पताल नेरवा के चिकित्सकों पर अस्पताल में लाए गए मरीज की अनदेखी के आरोप जड़े हैं।

ड्यूटी पर तैनात नर्स ने कहा 
सुरेंद्र ने बताया कि देर रात उसकी पत्नी रीना को सिरदर्द, उल्टी व बुखार की शिकायत होने पर उसे 108 एम्बुलैंस से रात 3 बजे नेरवा अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल पहुंचने पर रीना को ड्यूटी पर तैनात नर्स ने 2 इंजैक्शन दिए व कहा कि अभी डॉक्टर यहां पर नहीं हैं, मरीज को इंजैक्शन लगा दिए हैं, सुबह डॉक्टर आकर मरीज को खुद देख लेंगे। सुबह तक न तो कोई डॉक्टर आया और न ही किसी अन्य ने मरीज की कोई सुध ली। 10 बजे के करीब रीना को दोबारा उल्टियां शुरू हो गईं। 12 बजे तक भी जब मरीज की सुध नहीं ली गई तो परिजन मजबूरी में मरीज को एक निजी क्लीनिक में लेकर गए, जहां उसका इलाज चल रहा है।

लोगों का आरोप हैं यहां जड़ देना चाहिए ताला 
अस्पताल की अव्यवस्था के एक अन्य भुक्तभोगी भाग मल पुत्र दौलत राम, निवासी दियांडली डाकघर नेरवा ने बताया कि वह बहुत अधिक सिरदर्द होने पर अपना इलाज करवाने नेरवा अस्पताल गया था व उसने इसके लिए पर्ची बनवाई परन्तु जब डेढ़ घंटे तक उसका नंबर नहीं आया व सिरदर्द और ज्यादा बढ़ गई तो उसे भी मजबूरन निजी क्लीनिक की शरण में जाना पड़ा। लोगों का आरोप है कि सरकार ने इस अस्पताल को राम भरोसे छोड़ दिया है। न तो इस अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ है और न ही कोई अन्य सुविधा। ऐसे अस्पताल में ताला जड़ देना चाहिए ताकि मरीजों को इस तरह न भटकना पड़े।

अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी : खंड चिकित्सा अधिकारी
इस विषय में कार्यकारी खंड चिकित्सा अधिकारी डा. भूषण ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है, इसी के चलते ऐसा हुआ होगा।