इंसानियत हुई शर्मसार: यहां रास्ते में शव छोड़कर खाली लौट गई 108 एंबुलेंस, जानिए वजह

Sunday, Jun 18, 2017 - 12:33 PM (IST)

मंडी: देवभूमि हिमाचल में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां 108 एंबुलेंस एक शव को घर पर वापस छोड़ने की बजाए रास्ते में ही रखकर चली गई। क्योंकि 108 एंबुलेंस में अगर किसी मरीज को ले जाते समय रास्ते में मौत हो जाए, तो वह शव को घर पर वापस नहीं ले जाएगी। सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके जो एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है, उसमें ऐसी हालत में शव को वापस लाने का कोई प्रावधान नहीं है। इस बात का पता उस समय चला, जब स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर के गृह क्षेत्र मंडी जिला में द्रंग की ग्राम पंचायत कटौला के 42 वर्षीय प्यारे लाल की हृदयगति रूक गई। उसे उपचार के लिए मंडी से शिमला रैफर किया गया। 


शव को वापस मंडी लाने के लिए करना पड़ा टैक्सी का इंतजाम
आईआरडीपी परिवार के इस मुखिया को शिमला ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस मुहैया करवाई गई। लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया। एंबुलेंस में कर्मी की मौत की पुष्टि करने के लिए उसके शव को दाड़लाघाट ले जाया गया वहां डॉक्टरों ने फसे मृत घोषित कर दिया, तो शव को वहीं छोड़कर खाली एंबुलेंस मंडी के लिए रवाना हो गई। बताया जाता है कि गरीबी के चलते परिवार को शव को वापस मंडी लाने के लिए टैक्सी का इंतजाम करना पड़ा। 


बेटियों ने मुखाग्नि देने के रिवाज को तोड़कर पिता को अंतिम विदाई देकर की नई शुरूआत
बताया जा रहा है कि कटौला पंचायत के 42 वर्षीय प्यारे लाल एक गरीब परिवार से संबंध रखता था और उसकी 5 बेटियां थी। जब शव घर पहुंचा तो चिता को मुखाग्नि देने के लिए किसी पुरूष का चयन होने लगा। लेकिन मृतक की 3 बड़ी बेटियों ने आगे आकर इस परंपरा को निभाया। उन्होंने शमशानघाट पहुंचकर अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। हैरानी की बात यह है कि इस कटौला इलाके में यह पहली घटना है, क्योंकि यहां महिलाओं का शमशानघाट जाना और मुखाग्नि देने का कोई रिवाज नहीं है, लेकिन इन बेटियों ने अपने पिता को अंतिम विदाई देकर एक नई शुरूआत की है।