नशे की गिरफ्त में ऊना : छात्रों के नशे की चपेट में आने से अभिभावकों की उड़ी नींद

Saturday, Mar 10, 2018 - 11:34 AM (IST)

दौलतपुर चौक : जिला ऊना लगातार नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है। इंटोक्सीकैंट ड्रग्स से लेकर नशे की खेप के मामले लगातार बढऩे से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अब जिला का कोई भी हिस्सा ऐसे नशीले पदार्थों से अछूता नहीं बचा है। जिला के विभिन्न हिस्सों से नशेड़ी युवाओं के लगातार बढ़ते मामले सामने आ रहे हैं लेकिन अब ज्यादातर मामलों में शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत छात्रों के नशे की चपेट में आने से अभिभावकों की नींद उड़ गई है।

नशीली दवाइयों की धड़ल्ले से बिक्री
नशेड़ी युवाओं के ज्यादातर मामले आर्थिक रूप से संपन्न और प्रतिष्ठित परिवारों के सामने आ रहे हैं। अभिभावकों को एक ही ङ्क्षचता सताए जा रही है कि अपने बच्चों को नशे की लत में फंसने से महफूज कैसे रखें। नशे के अवैध कारोबारियों के खिलाफ जिला पुलिस पूरी तरह शिकंजा कस रही है लेकिन इसके बावजूद नशे का यह अवैध कारोबार निरंतर पांव पसार रहा है। बाजारों से लेकर शिक्षण संस्थानों के इर्द-गिर्द प्रतिबंधित नशीली दवाइयों की धड़ल्ले से बिक्री होने की बातें सामने आ रही हैं।

बदनामी के डर से परिजन छुपा रहे नशे की बातों को
बताया जाता है कि अवैध शराब की होम डिलीवरी और इंटोक्सीकैंट ड्रग्स से लेकर हैरोइन, भुक्की, चरस और डोडे की लत से नौजवान प्रभावित हो रहे हैं।
 नशेड़ी युवाओं के कुछेक मामले तो सामने आ रहे हैं लेकिन ज्यादातर मामले बदनामी और लोक लज्जा के चलते दबा दिए जाते हैं ताकि समाज की नजरों में किरकिरी न हो। बताया जा रहा है कि जैसे ही नौजवानों के नशेड़ी बनने के मामले परिजनों तक पहुंच रहे हैं, ऐसे परिवार अपने बच्चों को नशे की लत से मुक्त करने के लिए पढ़ाई को दरकिनार करके गुपचुप तरीकों से नशा निवारण केन्द्रों में पहुंचा रहे हैं।

हर मांग पूरी करने पर ही बच्चे अख्तियार करते हैं गलत रास्ता
एक परिवर्तन संस्था के अध्यक्ष आशीष सूद का कहना है कि जब मां-बाप बच्चों की हर जायज-नाजायज मांग को पूरा करते हैं और उन पर नजर भी नहीं रखते हैं तो स्वाभाविक तौर पर ऐसी स्थिति में बच्चे बुरी संगत में फंसकर नशे के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा अब वक्त आ गया है कि इस समस्या को पनपने से पहले ही सभी को एकजुट होकर खत्म करने के लिए आगे आना चाहिए ताकि किसी के घर का चिराग न बुझे।