पांवटा साहिब में ग्रामीण जान हथेली पर रख पार कर रहे झूला पुल

Thursday, Jan 03, 2019 - 11:51 AM (IST)

पांवटा साहिब (प्रेम वर्मा): भले ही देश के प्रधानमंत्री डिजिटल भारत की बातें करते नजर आ रहे हो मगर देश में धरातल पर कितना कार्य हो रहा है। यह देखना हो तो पांवटा साहिब के बनोर पंचायत के अंतर्गत आंद्रा, कुमलाह, बनयेर व शिढ़ि गांवों में जाकर देखना चाहिए। जहां के लोगों ने बीजेपी व कांग्रेस दोनों सरकारों से हर बार गुहार लगाई कि उनके गांवों में जाने के लिए जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। इसलिए इस और कोई उचित समाधान किया जाए। यहां पर कोई पुल लगाया जाए मगर हिमाचल प्रदेश में ना तो कांग्रेस की सरकार और ना ही बीजेपी की सरकार ने इन लोगों की मांग को सुना। थक हारकर इन लोगों ने अंत में खुद ही बीड़ा उठाया और गांव के साथ लगती नदी पर एक अस्थाई पुल तैयार कर दिया। 


गांव वालों की मानें तो उन्होंने बताया कि गांव के कई लोग, छोटे-छोटे बच्चे व बीमार लोगों को जब भी शहर की ओर जाना होता है तो या तो उन्हें नदी पर बने झूले के सहारे जाना पड़ता है या फिर नदी में उतर कर नदी को पार करना पड़ता था, जोकि जोखिम भरा होता था। इसलिए गांव वालों ने अब लकड़ियों की सहायता से एक अस्थाई पुल बना दिया। इस पर से इस नदी को पार करने का रास्ता निकाला हालांकि यह विकल्प भी काफी खतरों से भरा है। मगर लोग इस अस्थाई पुल से आसानी से अपना सामान वह किसी बीमार व्यक्ति को नदी पार करवा सकते हैं। नदी के ऊपर लगे झूले से भी कई बार लोग गिर चुके हैं। इसलिए लोग ज्यादातर से लकड़ी के पुल का इस्तेमाल कर रहे हैं मगर यह भी खतरों से भरा हो सकता है, क्योंकि यदि नदी का जलस्तर बढ़ता है तो इसे लकड़ी पर नदी पार करने वाले लोगों की जान पर भी भारी पड़ सकता है। इसलिए लोग स्थानीय लोगों ने सरकार से गुहार लगाई है कि जल्द से जल्द इस नदी पर कोई पुलिस की व्यवस्था की जाए ताकि लोगों को आने जाने में सुविधा मिल सके।

क्या कहते हैं ग्रामीण

बनोर पंचायत के ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव से यदि उन्हें पांवटा साहिब जाना होता है तो शिवा नघेता से होकर उन्हें दो गुणा लंबा सफर तय करना पड़ता है। मगर नदी पार कर कर जाते हैं तो मात्र 20 किलोमीटर दूर विकास नगर शहर व 40 किलोमीटर दूर पांवटा साहिब पड़ता है। यहां से पांवटा जाने के लिए उन्हें केवल आधा ही सफर तय करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि प्रदेश में चाहे कांग्रेस की सरकार हो या बीजेपी की सरकार सभी सरकार ने उनके मांग को अनसुना किया है।

Ekta