जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र का ऐसा गांव, जानिए कैसे पड़ा था पंचरुखी नाम

punjabkesari.in Thursday, Apr 22, 2021 - 04:06 PM (IST)

पंचरुखी: कई लोग अपने शहर व शहर का नाम तो जानते हैं लेकिन वो नाम क्यों पड़ा, यह नहीं जानते। आइए आपको आज पंचरुखी के बारे में बताते हैं। जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र के कस्बे पंचरुखी का नाम कैसे पंचरुखी पड़ा। पंचरुखी का नाम एक पेड़ पर 4 अलग-अलग पेड़ उगने से से प्रसिद्ध हुआ। स्थानीय निवासी केशराज चौधरी (96) ने बताया कि पीपल के ऊपर स्थानीय भाषा में पेड़ों के नाम पर तूनी, बरगद, पज्जा व खिड़क के पेड़ उगे हुए थे। इन 5 पेड़ों (स्थानीय भाषा में रुख) के कारण पंचरुखी नाम से विख्यात हुआ।

कुछ लोगों का कहना है कि जिस पेड़ के नाम पर पंचरुखी नाम पड़ा, वह पेड़ अपना अस्तित्व खो चुका है पर कुछ लोगों का मानना है कि जो पीपल का पेड़ है वही पेड़ है। इसी पीपल के पेड़ के नीचे हर वर्ष मार्च माह के अंत में पूजन के पश्चात झंडा रस्म व टमक की थाप से लखदाता छिंज मेले के आयोजन की शुरूआत होती है। गांव के बुजुर्गों का मानना है कि बहुत साल पहले जब बारिश नहीं होने के कारण सूखा पड़ा हुआ था, फसलें खराब हो रही थीं और अकाल की स्थिति बनी हुई थी, तभी गांव के बुजुर्गों ने आस्था पर विश्वास रख कर संकल्प लिया कि अगर बारिश होती है और फसल की पैदावार अच्छी होती है तो हर वर्ष लखदाता के नाम पर पूजा-अर्चना की जाएगी और छिंज मेले का आयोजन करेंगे।

आस्था की जीत हुई। समय पर बारिश हुई और मान्यता के अनुसार छिंज मेले का आयोजन होने लगा जोकि अब जिला स्तर का छिंज मेला है। चंगर धार क्षेत्र के लोग अधिकतर खरीददारी के लिए पंचरुखी बाजार का रुख करते हैं। 3600 की आबादी वाले पंचरुखी में दुकानों की संख्या करीब 370 है। दुकानदार व उनके पास काम करने वालों की जनसंख्या 550 के करीब होगी। यही नहीं, रोजाना 500 से 600 के करीब लोग दूसरे गांव से आते हैं क्योंकि यहां पर उप तहसील, कांगड़ा को-ऑप्रेटिव बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, एडाक विभाग व पंजाब नैशनल बैंक इत्यादि हैं।


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Vijay

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