पंचायती राज मंत्री पर बजट छीनने का आरोप

Sunday, Jan 22, 2017 - 12:24 PM (IST)

शिमला: जिला परिषद सदस्यों को एक तो सरकार की ओर से बजट का प्रावधान नहीं हो रहा और दूसरी ओर जो पैसा विकास कार्यों के लिए 13वें वित्त आयोग में स्वीकृत किया गया था वह भी छीन लिया गया। शनिवार को जिला परिषद सदस्यों की त्रैमासिक बैठक में उपस्थित सदस्यों ने पंचायती राज मंत्री अनिल शर्मा पर 13वें वित्त आयोग का बजट छीनने का आरोप लगाया है। बचत भवन शिमला में हुई बैठक के दौरान जिला परिषद व पंचायत समिति के सदस्यों ने इस विषय को लेकर खूब हंगामा किया। सदस्यों का कहना है कि पंचायती राज मंत्री ने हाल ही में शिमला क्षेत्र की कई पंचायतों का दौरा किया। इस दौरान मंत्री ने जो भी घोषणा की, उसके लिए जिला परिषद का बजट पंचायतों को बांट दिया गया। 


बजट के लिए डी.पी.ओ. शिमला को निर्देश किए जारी
सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया है कि इस बजट के लिए डी.पी.ओ. शिमला को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। अब पूरा बजट पंचायतों को दिया जाएगा। इस दौरान जिप सदस्य नीलम सरैक ने कहा कि जिला शिमला में जो भी राशि 13 वें वित्त आयोग के दौरान खर्च नहीं हुई थी, उसे विभिन्न विकास कार्यों में खर्च करने के लिए योजना तैयार की थी। उन्होंने कहा कि यह राशि जिला परिषद की है और उन्हें यह राशि वापस मिलनी चाहिए। इस दौरान जिला परिषद एवं पंचायत समितियों को विकास कार्यों के संचालन के लिए 14वें वित्त आयोग के तहत आर्थिक अनुदान देने के लिए जिला परिषद बैठक में एकमत से प्रस्ताव पारित किया गया।


जिला परिषद अध्यक्ष धर्मिला हरनोट ने बताया कि जिला परिषद की त्रैमासिक बैठक के दौरान प्राप्त 84 प्रस्तावों में से 28 प्रस्तावों पर कार्यवाही करते हुए निपटारा कर दिया गया। शेष 56 प्रस्तावों की पूर्ति के लिए विभिन्न विभागों को तुरंत निपटाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए। बैठक में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं अतिरिक्त जिलाधीश राकेश कुमार प्रजापति ने कहा कि विभिन्न विकास कार्यों की निरंतरता बनाए रखने के लिए सभी विभागों को जल्द आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। जिन प्रस्तावों पर कार्य पूरा नहीं हुआ है, उसे समयबद्ध पूरा करने के लिए भी अमल में लाई जाएगी। बैठक में उपाध्यक्ष जिला परिषद सुरेंद्र रेटका, जिला परिषद व पंचायत समिति के सदस्य व विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। 


बैठक का संचालन सचिव जिला परिषद एम.एस. नेगी ने किया। जिला परिषद सदस्यों ने बैठक के दौरान एकजुट होकर अपने बजट को वापस लेने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि जिप सदस्यों के पास करीब 80 लाख रुपए का बजट पड़ा था। इस बजट को वह अपने-अपने वार्ड में खर्च कर सकते थे बावजूद इसके सरकार ने इसमें अपनी मनमर्जी से बजट को वापस लिया है। बैठक के दौरान मोती लाल सिथटा सदस्य जिप ने सवाल उठाया कि 13वें वित्त आयोग में उनके बजट को वापस क्यों मंगवाया गया है।