पंचायत ने BPL परिवारों को सुनाया ये फरमान, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

Wednesday, May 24, 2017 - 09:52 AM (IST)

शिमला: हिमाचल उच्च न्यायालय ने कांगड़ा जिला की रक्कड़ पंचायत द्वारा बी.पी.एल. परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में न पढ़ाने के फरमान के खिलाफ राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल व न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने बैजनाथ के रमेश कुमार द्वारा मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र पर संज्ञान लेने के बाद ये आदेश पारित किए। पंजाब केसरी दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए प्रार्थी रमेश कुमार ने दलील दी है कि इस तरह का फरमान जारी करना असंवैधानिक है। हर परिवार को अपने बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ाने की स्वतंत्रता है। बी.पी.एल. परिवार पर इस तरह की पाबंदी लगाने की शक्ति पंचायत के पास नहीं है। प्रार्थी ने न्यायालय से गुहार लगाई है कि इस मुद्दे को लेकर कानूनी तौर पर जरूरी निर्देश जारी करें।


सहकारिता ट्रिब्यूनल गठित करे प्रदेश सरकार: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए हैं कि वह सहकारी समितियों से जुड़े मामलों के निपटारे हेतु सहकारिता ट्रिब्यूनल का गठन करे। कोर्ट ने खेद जताया कि मौजूदा प्रणाली मामलों के निपटारे व अपने फैसलों की अनुपालना में नाकाम साबित हुई है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान ने अशोक कुमार द्वारा दायर मामले का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किए। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी अशोक कुमार ने वर्ष 1986 से इंदौरा कृषि सहकारिता समिति में बतौर सचिव ज्वाइन किया। उसे वर्ष 2008 में विभागीय जांच के पश्चात सेवाओं से बर्खास्त कर दिया था। इस बर्खास्तगी के खिलाफ उसने जनवरी, 2008 में रजिस्ट्रार को-आप्रेटिव सोसायटी के समक्ष अपील दायर की। 7 अप्रैल, 2008 को रजिस्ट्रार ने उसकी सेवाओं को बहाल करने के आदेश पारित कर दिए थे परन्तु इंदौरा को-आप्रेटिव सोसायटी ने प्रार्थी की ज्वाइनिंग को स्वीकार नहीं किया। प्रार्थी को रजिस्ट्रार के आदेशों की अनुपालना करवाने हेतु मजबूरन हाईकोर्ट की शरण में आना पड़ा। हाईकोर्ट ने मामले को निपटाते हुए खेद जताया कि सहकारिता समिति का रजिस्ट्रार अपने आदेशों की अनुपालना करवाने में शक्तिहीन है जिस कारण प्रदेश में सहकारिता ट्रिब्यूनल का गठन करना अति आवश्यक हो गया है। 


सहकारिता समिति की मैनेजिंग कमेटी को भंग करने के आदेश पारित
कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सहकारिता अधिनियम की धारा 108 के अंतर्गत तथा सहकारिता रूल्स के नियम 132 के तहत सहकारिता ट्रिब्यूनल खोलने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने इंदौरा को-आप्रेटिव सोसायटी द्वारा प्रार्थी की बहाली में बरती गई कोताही के दृष्टिगत वर्ष 2008 के बाद की मैनेजिंग कमेटी के सभी सदस्यों की सदस्यता को खत्म करने के आदेश दिए व अगले 5 साल तक उन्हें किसी अन्य समिति की सदस्यता लेने से भी बात से रोक दिया। कोर्ट ने वर्ष 2008 से आज तक रहे को-आप्रेेटिव सोसायटी के प्रत्येक सदस्य पर 20,000 रुपए की कॉस्ट लगाने के आदेश भी पारित किए। कोर्ट ने इंदौरा कृषि सहकारिता समिति की मैनेजिंग कमेटी को भी भंग करने के आदेश पारित करते हुए इस समिति पर प्रशासक की नियुक्ति कर दी है जोकि रजिस्ट्रार द्वारा प्रार्थी की बहाली वाले आदेशों की अनुपालना भी सुनिश्चित करेगा।