कृषि महाविद्यालयों में प्राकृतिक खेती होगी पाठ्यक्रम में शामिल

Monday, Oct 17, 2022 - 10:23 PM (IST)

पालमपुर (भृगु): कृषि महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में अब प्राकृतिक खेती को भी शामिल किया जाएगा। हिमाचल में प्राकृतिक कृषि को लेकर बड़े स्तर पर कार्य किया जा रहा है तथा परंपरागत रासायनिक कृषि से हटकर किसानों को प्राकृतिक कृषि से जोड़ा जा रहा है। बड़ी संख्या में किसान प्राकृतिक कृषि से जुड़ चुके हैं। हिमाचल के पश्चात गुजरात में भी प्राकृतिक कृषि को अंगीकार कर लाया गया है। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर प्राकृतिक कृषि को लेकर किसानों के लिए पैकेज ऑफ प्रैक्टिसिज भी जारी कर रहा है। ऐसे में कृषि महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में प्राकृतिक खेती को शामिल किए जाने से वैज्ञानिक आधार पारंगत मानव संसाधन भी किसानों की सहायता के लिए उपलब्ध रहेगा। जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों/कीटनाशकों की जगह रासायनिक खेती ने ले ली है।

भारत सरकार ने प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर दिया है और परिणामस्वरूप आई.सी.ए.आर. ने कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रम में प्राकृतिक खेती को शामिल करने का निर्णय लिया है। प्राकृतिक खेती पर अधिक जनशक्ति और किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों को आई.सी.ए.आर. द्वारा यह काम सौंपा गया है। प्राकृतिक खेती के लिए प्रमुख फसलों का परीक्षण बहु-स्थानों पर किया जाएगा। संस्थान पहले से ही पहाड़ी राज्य की फसलों के संदर्भ में प्राकृतिक खेती पर काम कर रहा है।

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एच.के. चौधरी ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में यह जानकारी रखी गई। विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती के पाठ्यक्रम की रूपरेखा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा तैयार की गई थी जिसे प्राकृतिक खेती में उत्पादन और अनुसंधान के अभ्यास के लिए अगले शैक्षणिक सत्र से पेश किए जाने की संभावना है।

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Kuldeep