पेंटिंग के जुनून ने बना दिया ग्राफिक डिजाइनर, CM ने पीठ थपथपाकर दी बधाई (Video)

Friday, Jul 20, 2018 - 02:25 PM (IST)

मंडी (नीरज): कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और देर-सवेर ही सही, उसे पहचान मिल ही जाती है। कुछ ऐसी ही पहचान मिली है मंडी निवासी धर्मेंद्र कुमार को। उन्होंने राज्य महिला आयोग का लोगो डिजाइन किया जिससे उसके हुनर को नई पहचान मिली है। मंडी जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर मेहड़ गांव निवासी धर्मेंद्र कुमार के हुनर की इन दिनों हर कोई तारीफ कर रहा है। आयोग ने लोगो डिजाइनिंग की एक प्रतियोगिता करवाई थी जिसमें प्रदेश भर के डिजाइनरों ने भाग लिया। लेकिन जो लोगो आयोग की पहचान बना उसे मंडी के धर्मेंद्र ने डिजाइन किया था। 


धर्मेंद्र द्वारा डिजाइन लोगो को सीएम जयराम ठाकुर ने अपने हाथों जारी किया और उसकी पीठ थपथपाई। बता दें कि वह एक गरीब परिवार से संबंध रखता है। पिता किराए का ऑटो चलाते हैं और खुद भी धर्मेंद्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए पैट्रोल पंप पर सेल्समैन का काम कर चुका है। आज भी वह पार्ट टाइम काम करके अपना गुजर बसर कर रहा है। कुछ साप्ताहिक समाचार पत्रों और मैग्जिन की डिजाइनिंग करके धर्मेंद्र अपना रोजगार चला रहा है। उन्होंने कई मैग्जिन के कवर पेज भी डिजाइन किए लेकिन उसे वो पहचान नहीं मिल पाई जिसका वो हकदार था। धर्मेंद्र को इस बात का खुशी है कि महिला आयोग ने उसके हुनर को एक नई पहचान दिलाई और इस कारण आज प्रदेश भर में उसका नाम हुआ है।


उन्होंने एमसीए की पढ़ाई जरूर की है लेकिन उसने कभी ग्राफिक डिजाइनिंग का कोई कोर्स नहीं किया। धर्मेंद्र को पेटिंग का शौक है और पेंसिल स्कैच बनाने में उसको महारत हासिल है। पेंसिल स्कैच ऐसा बनाता है माना किसी की बोलती तस्वीर सामने रख दी गई हो। उसने बताता कि उसके इसी शौक ने उसे ग्राफिक डिजाइनर बना दिया। हाथ की पेंटिंग को कीबोर्ड और माउस के सहारे कंप्यूटर पर उतारने की कोशिशें की और आज इस मुकाम तक जा पहुंचा। वह आगे पेंटिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है लेकिन उसके लिए उसे ग्राफिक डिजाइनिंग का सहारा लेना पड़ रहा है क्योंकि आमदन यहीं से हो रही है। उसने रेलवे के लिए भी लोगो डिजाइन करके भेज दिया है। रेलवे ने भी इच्छुक उम्मीदवारों से आवेदन मांगे थे। वहीं धर्मेंद्र अब ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेकर कुछ नया और हटकर करना चाहता है ताकि उसे मिली पहचान बरकरार रहने के साथ बढ़ती रहे।

Ekta