हिमाचल में पहली बार ब्रेन डैड मरीज का अंगदान, टांडा मेडिकल कॉलेज बना गवाह

punjabkesari.in Saturday, Mar 12, 2022 - 10:29 PM (IST)

शिमला (जस्टा): दुनिया में सबसे बड़ा दान जीवनदान माना जाता है। अगर किसी को जीवन दिया जा सके तो इससे बड़ा कोई काम व दान नहीं है। लोगों को यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि मृत व्यक्ति भी ब्रेन डैड घोषित होने के बाद अपने अंगदान करके दूसरों को नए जीवन की सौगात दे सकता है। ऐसा ही कुछ कांगड़ा जिले के टांडा मेडिकल कॉलेज में सामने आया है। हिमाचल के इतिहास में पहली बार कैडेवरिक ऑर्गन डोनेशन हुआ। इस इतिहास का गवाह टांडा मेडिकल कॉलेज बना है, जहां रिनल ट्रांसप्लांट सर्जरी की ओर से ऑर्गन रिट्रीवल हुआ।
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10 मार्च को सड़क दुर्घटना में घायल हुआ था युवक 

कांगड़ा जिले का रहने वाला 18 वर्षीय विशाल 10 मार्च को सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुआ। गंभीर अवस्था में उसे टांडा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। हैड इंजरी के कारण मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी। परिजनों ने उसे लुधियाना स्थित निजी अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए शिफ्ट करवा दिया। वहां पर मरीज को डाॅक्टरों की टीम ने ब्रेन डैड घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन मरीज को वापस टांडा मेडिकल कॉलेज ले आए। अस्पताल में मरीज आईसीयू में दाखिल रहा। तभी रिनल ट्रांसप्लांट सर्जरी के एसोसिएट प्रोफैसर डाॅक्टर राकेश चौहान सहित अन्य डाक्टरों ने परिजनों को अंगदान के महत्व के बारे में बताया। हिम्मत दिखाते हुए मरीज के पिता व अन्य अंगदान करने के लिए राजी हुए। ऑर्गन के मैच के लिए ब्लड के सैंपल लाइट के माध्यम से दोपहर करीब 12.50 बजे धर्मशाला से पीजीआई चंडीगढ़ भेजे गए। इसी बीच अंग रिट्रीव करने के लिए पीजीआई चंडीगढ़ से विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम टांडा अस्पताल पहुंची।

2 से अढ़ाई घंटे चली रिट्रीवर प्रक्रिया

शनिवार दोपहर बाद करीब 3 बजे रिट्रीवर प्रक्रिया शुरू हुई, जोकि करीब 2 से अढ़ाई घंटे चली। इस दौरान मरीज के शरीर से दो किडनी और 2 कॉर्निया निकाले गए। ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से कुछ ही घंटों के भीतर किडनी से भरे कंटेनर्स को वाहन के जरिए पीजीआई पहुंचाया गया। इस दौरान पीजीआई से एचओडी रीनल ट्रांसप्लांट सर्जरी डाॅ. आशीष शर्मा, डाॅ. सर्बप्रीत, डाॅ. विवेक ठाकुर, डाॅ. पारुल गुप्ता और नॄसग ऑफिसर शीनम मौजूद रही। टांडा मेडिकल कॉलेज के एमएस डाॅ. मोहन सिंह, प्रिंसीपल डाॅ. भानु अवस्थी, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर डाॅ. अरविंद राणा सहित अन्य डाॅक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद रहा।
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किडनी भेजी पीजीआई, 2 कॉर्निया अस्पताल में ही किए जाएंगे ट्रांसप्लांट

डाॅ. राकेश ने कहा कि परिजनों की सहमति के बिना अंगदान का यह महान दान संभव नहीं हो पाता है। परिजनों ने समाज के लिए मिसाल कायम करते हुए एक उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कहा कि देशभर में लाखों मरीज अंग न मिलने के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं लेकिन इस युवक जैसे महादानी मरीजों के लिए वरदान साबित होते हैं। उन्होंने बताया कि दोनों किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पीजीआई भेज दी गई हैं, वहीं दो कॉर्निया को अस्पताल में 2 जरूरतमंद मरीजों में ट्रांसप्लांट किया जाएगा। स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन हिमाचल प्रदेश के नोडल ऑफि सर डाॅ. पुनीत महाजन ने कहा कि टांडा मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डाॅक्टरों सहित अन्य टीम की कड़ी मेहनत के चलते हिमाचल में पहली बार ब्रेन डैड मरीज से अंगदान संभव हुआ है।

पीजीआई चंडीगढ़ तक पहली बार बना ग्रीन कॉरिडोर

पुलिस प्रशासन के सहयोग से टांडा मेडिकल कॉलेज से लेकर पीजीआई चंडीगढ़ तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। टांडा मेडिकल कॉलेज में ऑर्गन रिट्रीवेल के बाद कांगड़ा, ऊना, रोपड़, मोहाली और चंडीगढ़ पुलिस प्रशासन के सहयोग से ऑर्गन ले जाने वाले वाहन को प्राथमिकता पर आगे भेजा गया ताकि दान किए गए अंगों को कम से कम समय में पीजीआई पहुंचाया जा सके। प्रदेश के आईजीएमसी अस्पताल में वर्ष 2021 से स्टेट ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन यानी सोटोइ इकाई स्थापित की गई है जोकि लोगों में लगातार अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रही है।

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Content Writer

Vijay

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