ऑनलाइन ठगी मामला : बैंकों में जाली निकल रहे आधार और पैन कार्ड

Tuesday, Aug 07, 2018 - 03:25 PM (IST)

ऊना (सुरेंद्र): क्या ऑनलाइन ठगी के मामले में बैंकों की भी कोई संलिप्तता है? यह सवाल अब उभरकर सामने आने लगा है। ठगी के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन पुलिस असल अपराधियों तक पहुंच नहीं बना पा रही है। इसका बड़ा कारण जिन बैंक खातों से ट्रांजैक्शन हो रही है उन खातों के साथ जोड़े गए आधार नंबर और पैन नंबर जाली निकल रहे हैं। यह एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। जिला ऊना में ठगी के एक बड़े मामले में पुलिस की प्रारंभिक जांच में ऐसे तथ्य सामने आए हैं। सबसे बड़ी 20 लाख की ऑनलाइन ठगी के मामले में पुलिस के 7 महीने बाद भी हाथ खाली हैं। एक बैंक खाते के आधार पर जब पुलिस की टीम दिल्ली पहुंची तो खाते में लगे आधार कार्ड के जरिए जिस पते पर पहुंची वह पता ही पूरी तरह से जाली पाया गया है। दिल्ली पुलिस ने भी हिमाचल पुलिस से ऐसे कई फर्जी पते होने की पुष्टि की है।

दिसम्बर, 2017 में अधिकारी हुआ था ठगी का शिकार
जिला ऊना के एक थाने में जनवरी, 2018 में एक अधिकारी ने उसके साथ करीब 20 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी की शिकायत दर्ज करवाई थी। दरअसल ई-मेल के जरिए इस अधिकारी को जालसाजी में फंसाने का सिलसिला शुरू हुआ था। दिसम्बर, 2017 में इन्हीं जालसाजों के झांसे में आकर अधिकारी ने एक के बाद एक ट्रांजैक्शन ठगों के बैंक खाते में की थी। जाल में फंसा पीड़ित अधिकारी एक बार राशि गंवाने के बाद लगातार उनके झांसे में आता गया और उम्रभर की कमाई को जालसाजों के हवाले कर दिया। जब उसे पता लगा कि वह पूरी तरह से ठगी का शिकार हो चुका है तो अंतत: पुलिस में शिकायत की।

साइबर क्राइम में दक्षता न होना बनी बाधा
साइबर क्राइम के मामले में पुलिस की पकड़ ढीली होने की वजह के चलते कई माह तक तो प्रारंभिक कदमताल भी शुरू नहीं हो पाई। बाद में पुलिस दिल्ली तक पहुंची लेकिन बैंक खातों में लगे दस्तावेजों के फर्जी निकलने के बाद अब भी पुलिस के हाथ पूरी तरह से खाली हैं। दिल्ली के बाद बिहार और असम के कुछ ठिकानों का भी सुराग लगा है लेकिन क्या वे पते भी जाली हैं, इस पर संदेह बना हुआ है। पिछले 7 माह से पीड़ित अधिकारी पुलिस के चक्कर लगा रहा है परंतु जिला पुलिस के पास स्टाफ की कमी व साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में दक्षता न होना इस जांच में बाधा बना हुआ है।

Vijay