एक तरफ पटाखों पर प्रतिबंध दूसरी ओर धड़ल्ले से जलाया जा रहा कूड़ा

Sunday, Nov 04, 2018 - 01:35 PM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण प्रदूषण रोकने के मकसद से दीवाली वाले दिन पटाखे जलाने पर रोक लगाई। दीवाली पर रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे जलाने की अनुमति होगी। यह फैसला स्वागत योग्य है, लेकिन प्रदेश की राजधानी में धड़ल्ले से कूड़ा जलाया जा रहा है। इस पर न तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और न ही एम.सी. शिमला की नजर-ए-इनायत हो रही है। शिमला में डोर-टू-डोर गारबेज कलैक्शन सुविधा होने के बावजूद जगह-जगह कूड़ा जलाकर राजधानी की शुद्ध आबोहवा में जहर घोला जा रहा है। शिमला के अलग-अलग क्षेत्रों में कई बार आम जनता और एम.सी. कर्मचारी भी कूड़ा जलाते हुए देखे जा सकते हैं। इससे हर वक्त धुएं के गुबार आसमान में उड़ते हुए देखे जा सकते हैं। 

ऐसा करके सैंटर के एयर एक्ट-1987 तथा राज्य के ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन नियम-2016 की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कानून में कूड़ा जलाने पर 25 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान होने के बाद भी लोग जाने-अनजाने कूड़ा जला देते हैं। ऐसा करके लोग दिल्ली सहित अन्य मैदानी राज्यों जैसे हालात यहां भी पैदा करने पर तुले हुए हैं, जहां पर शुद्ध हवा लेने के लिए एयर प्यूरीफायर की नौबत आ गई है। पराली में आग लगाने, उद्योगों व गाड़ियों के प्रदूषण तथा कूड़ा-कचरा जलाने से निरंतर पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने के मकसद से ही शिमला में डोर-टू-डोर गारबेज कलैक्शन की सुविधा शुरू की गई, लेकिन जब डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने वाले कर्मचारी गैर-हाजिर रहते हैं तो लोग खुले में कूड़ा फैंक देते हैं और इसमें आग लगा दी जाती है। इससे वायुमंडल में जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है।

एम.सी. को कार्रवाई के दिए जाएंगे निर्देश
शिमला में कूड़े के वैज्ञानिक विधि से निष्पादन को लेकर एक दिन पहले ही नगर निगम आयुक्त से बात की गई है। फिर भी यदि कहीं खुले में कूड़ा जलाया जा रहा है, तो एम.सी. को कार्रवाई के निर्देश दिए जाएंगे।

मई में खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है आर.एस.पी.एम. लेवल
कुछ साल पहले तक शिमला की आबोहवा देश में सबसे बेहतर मानी जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। शिमला में इस बार मई माह के दौरान रैस्पीरेबल सस्पैंडड पॢटकुलर मैटर (आर.एस.पी.एम.) का स्तर औसत 108 रहा, जबकि यह 100 से अधिक खतरनाक माना जाता है। 26 मई को आर.एस.पी.एम. का स्तर 475 माइक्रो ग्राम तक हो गया था।

क्या कहता है कानून
कानून में कूड़े को जलाने स्रद्ध बजाय वैज्ञानिक विधि से इसका निष्पादन करने का प्रावधान है। इसी मकसद से एम.सी. शिमला ने भरयाल में कूड़ा संयंत्र प्लांट लगा रखा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एम.सी. द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक पूरे शहर का ठोस एवं तरल कचरा इकट्ठा करके भरयाल में निष्पादित करना है, लेकिन शिमला में ऐसा नहीं हो रहा।

Ekta