एक को मकान की दरकार, दूसरे को मदद की आस

Friday, May 04, 2018 - 01:29 AM (IST)

दौलतपुर चौक: आर्थिक तंगी और प्रशासन की बेरुखी कभी-कभार इंसान को बेबस और लाचार कर देती है। हकीकत यही है कि यहां पर किसी को बिन मांगे मोती मिल जाते हैं और किसी को मांगने पर भीख भी नहीं मिलती है। गगरेट विस क्षेत्र के नकड़ोह और कुनेरन गांव में बी.पी.एल. से संबंधित 2 ऐसे परिवार अपनी जिंदगी काट रहे हैं जिन्हें हर कोई देखकर नजरअंदाज कर रहा है। नकड़ोह में एक परिवार दशकों से आशियाना हासिल करने के लिए जमीन के एक टुकड़े की मांग कर रहा है लेकिन कानूनी अड़चनों ने उस मरीज व्यक्ति को दशकों से उस खड़पोश झोंपड़ी में रहने को विवश कर दिया है जो सरकारी भूमि में बनाई गई है तो दूसरी ओर कुनेरन गांव में एक व्यक्ति इलाज के लिए पाई-पाई को तरस रहा है। अब इस परिवार की इलाज करवाते-करवाते जमीन भी बिक गई है। बस हकीकत यही है कि इनके लिए न तो कोई फरिश्ता बना और न ही मसीहा मिल पाया है। इन दोनों परिवारों ने यही सब्र कर लिया है कि उनकी किस्मत में बस यही लिखा है।


जमीन को तरस रहा तरसेम लाल का परिवार
तरसेम लाल नकड़ोह गांव में रह रहा है। अन्य पिछड़ा वर्ग और बी.पी.एल. से संबंधित यह परिवार सरकारी भूमि में करीब 25 वर्षों से एक खड़पोश झोंपड़ी में रह रहा है, जिसमें तरसेम लाल की पत्नी, मां, 2 बेटियां और एक बेटा शामिल है। स्वयं तरसेम लाल दिल का मरीज है। इस दौरान कई सरकारें आईं और गईं लेकिन हमदर्द कोई नहीं मिला। तरसेम लाल ने बार-बार हक और न्याय की लड़ाई लड़ी लेकिन इस सिस्टम के आगे हार गया। हर दरबार में लाचार तरसेम लाल की एक ही मांग थी कि उसे मकान बनाने के लिए बस थोड़ी-सी जमीन मिल जाए ताकि दिहाडिय़ों से जो थोड़ा-बहुत धन इकट्ठा किया है उससे रहने के लिए एक छत बन जाए लेकिन इसी सोच में तरसेम लाल दिल की बीमारी से ग्रस्त हो गया। उस दौरान रिश्तेदारों ने आर्थिक मदद देकर बचा लिया। इस बीमारी के उपरांत तरसेम लाल दिहाड़ी लगाने के काबिल भी नहीं रहा। आज लाचार तरसेम लाल के पास न जमीन, न मकान, न बिजली और न ही पानी है। बरसात के मौसम में एक गंदे नाले के कारण तरसेम लाल की खड़पोश झोंपड़ी प्रतिवर्ष पूरी तरह पानी में डूब जाती है लेकिन इसकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है। तरसेम लाल का कहना है कि मदद कोई नहीं करता बल्कि कायदे-कानूनों का मकडज़ाल ही हर कोई दिखाता है, जिसमें वह दशकों से उलझा हुआ है।


जोगिन्द्र के पास इलाज के लिए पैसे नहीं
कुनेरन गांव के जोगिन्द्र सिंह की दोनों किडनियां खराब हो गई हैं। यह परिवार बी.पी.एल. से संबंधित है। जोगिन्द्र सिंह के परिवार में पत्नी व बुजुर्ग बाप है। आय का कोई साधन नहीं है। मजदूरी करके जोगिन्द्र सिंह तीनों बेटियों की शादी कर चुका है लेकिन अब बीमारी ने उसे चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। इलाज के दौरान जमीन भी बिक गई और अब डायलिसिस पर है। बेटियां हरसंभव इलाज करवा रही हैं लेकिन आज जोगिन्द्र सिंह इलाज के लिए पाई-पाई को मोहताज हो गया है। आय का कोई साधन नहीं, जमीन बिक गई है। बुजुर्ग बाप और लाचार बिस्तर पर होने से जोगिन्द्र सिंह बेबस हो गया है। अब वह अपने परिवार को पाले भी तो कैसे, यह सवाल जोगिन्द्र सिंह को दिन-रात सताए जा रहा है।


बेटों की लाचारी ने बुजुर्गों को भी कर दिया है बेसहारा
नकड़ोह निवासी तरसेम लाल के पास 100 वर्षीय वृद्ध मां रहती है। बेटा बीमारी से ग्रस्त और दूसरा जमीन-मकान नहीं। ऐसी स्थिति में तरसेम लाल की वृद्ध मां शंकरी देवी के मन की पीड़ा समझी जा सकती है। यह परिवार कैसी जिंदगी गुजार रहा है, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। दूसरी तरफ कुनेरन गांव के जोगिन्द्र सिंह की कहानी भी रुला देने वाली है। जोगिन्द्र सिंह के पिता की उम्र भी 100 वर्ष हो चुकी है। वक्त की विडम्बना देखिए जिस बेटे पर बुढ़ापे में बुजुर्ग बाप की देखभाल करने की जिम्मेदारी थी वह बेटा बीमारी के चलते आज चारपाई पर है। ऐसी स्थिति में बुजुर्ग की देखभाल कौन करे। अब घर का गुजारा और बीमारी का खर्चा कौन उठाए। इसी सोच में वृद्ध लेख राम आज भी सरकार से इलाज के लिए मदद की आस लगाए बैठा है।


जल्द उठाए जाएंगे कदम : विधायक
गगरेट के विधायक राजेश ठाकुर ने कहा कि ये दोनों मामले अभी उनके ध्यान में आए हैं। इन दोनों मामलों पर अविलम्ब कदम उठाए जाएंगे। जो भी संभव हो सकेगा इन दोनों परिवारों के हित में किया जाएगा। मैं इन दोनों पीड़ित परिवारों से मिलूंगा और जो भी संभव हो सकेगा, मदद प्रदान किए जाने का प्रयास किया जाएगा।

Vijay