एक बार फिर सैलानियों की पहली पसंद बनी कुल्लू-मनाली की वादियां, जानिए क्यों

Sunday, Jul 09, 2017 - 12:44 PM (IST)

मनाली: हिमाचल प्रदेश की कुल्लू-मनाली की वादियां एक बार फिर सैलानियों की पहली पसंद बन गई हैं। पर्यटकों को सुविधा देने के लिए मनाली में 19 जून, 2004 को लगाया गया ग्रीन टैक्स बैरियर इस बार भी पैसे कमाने में अव्वल साबित हो रहा है। बाहरी राज्यों से आई वाहनों की बाढ़ मनाली के खजाने को भर गई है। रिकॉर्ड संख्या में आए पर्यटक वाहनों ने अप्रैल, मई और जून महीने में ही सरकारी खजाने में 2.82 करोड़ रुपए भर दिए हैं। एक ओर जहां होटलों का कारोबार बेहतर रहा है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण फंड में भी भारी बढ़ौतरी हुई है। पर्यटन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार पिछले एक दशक से मनाली में हर साल 20 प्रतिशत पर्यटकों की बढ़ौतरी हुई है। इस साल भी मनाली सैलानियों की पसंदीदा सैरगाह बनी है और अप्रैल, मई व जून महीने ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। 3 महीने में 1.16 लाख से अधिक पर्यटक वाहनों ने यहां दस्तक दी तथा 2.82 करोड़ कंपोजिट एन्वायरनमैंट फंड ग्रीन टैक्स एकत्रित हुआ। पिछले साल 3 महीनों में 92,000 पर्यटक वाहन यहां आए और 2.35 करोड़ रुपए ग्रीन टैक्स एकत्रित हुआ था। इस बार मौसम भी बेहतर रहा है और जून महीने में भी रोहतांग दर्रे में बर्फबारी हुई है।


पार्किंग समस्या ने धारण किया गंभीर रूप
ग्रीन टैक्स बैरियर के कमाऊ पूत बनने के बावजूद भी मनाली में अव्यवस्था का आलम है। वाहनों की आमद बढ़ने से मनाली में पार्किंग समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी है। सैलानी घंटों ट्रैफिक जाम से बेहाल हो रहे हैं। फंड कटवाने के बाद सैलानी जब मनाली पहुंचते हैं तो फ्री पार्किंग व अन्य सुविधाओं के नाम पर फंड चुकाने वाले सैलानी उस वक्त स्वयं को ठगा सा महसूस करते हैं जब न तो उन्हें पार्किंग के लिए जगह मिलती है और न ही अन्य आधारभूत सुविधाएं। 


आधारभूत ढांचा मजबूत करने का हो रहा प्रयास: रतन
पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग कुल्लू के उपनिदेशक रतन गौतम ने कहा कि पर्यटन विकास परिषद के माध्यम से एकत्रित फंड खर्च किया जा रहा है और डी.सी. कुल्लू के मार्गदर्शन में पर्यटन नगरी का आधारभूत ढांचा मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मनाली में पार्किंग की उचित व्यवस्था करने के साथ-साथ सैलानियों को मूलभत सुविधाएं देने के लिए विभाग गंभीर है। सैलानियों की सुविधा को रोहतांग के मढ़ी में 7 करोड़ रुपए से अधिक धन खर्च किया जा रहा है।