किसके इशारे पर वोटर लिस्ट से गायब हुए नाम, जवाब दे सरकार : राणा

Friday, Jan 15, 2021 - 05:57 PM (IST)

हमीरपुर : पंचायती राज चुनावों में वोटर लिस्ट में से नाम गायब होने का बवाल प्रदेश भर में मचा हुआ है। मत अधिकार से वंचित हो रहे लोग चुनाव आयोग के अधिकारियों के पास दर-ब-दर धक्के खा रहे हैं। यह बात प्रदेश पंचायती राज चुनाव प्रभारी एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसे हजारों लोग हैं जिन्होंने वोटर लिस्ट से नाम गायब होने की शिकायतें की हैं। प्रदेश के करीब-करीब सभी जिलों से ऐसी शिकायतें सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि पंचायती राज चुनावों में जनादेश का सामना करने से बौखलाई सरकार की यह बड़ी साजिश सामने आई है। पंचायती राज चुनावों में हजारों लोगों को मत से वंचित रखने की साजिश की गई है, अब इस साजिश में बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को परिवहन की माकूल व्यवस्था न करवाकर सरकार ने एक ओर नया पैंतरा चला है। इतना ही नहीं मतदान के दिन 17 जनवरी को सर्विस सलेक्शन बोर्ड का एग्जाम रखा गया है ताकि युवा मतदाता मतदान न कर सके।

उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदेशभर से मिली प्रतिक्रिया से जानकारी मिली है कि जनता मतदान से वंचित रखने की इस बड़ी साजिश को सीधे तौर पर सरकार को जिम्मेदार बता रही है। मीडिया भी लगातार इन खबरों को प्रकाशित कर रहा है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची से गायब अधिकांश ऐसे लोग हैं जो चुनाव लडऩे की तैयारी में जुटे थे। कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें सर्वसम्मति से प्रतिनिधि चुन लिया गया था। कुछ ऐसे हैं जिनकी जीत लगभग सुनिश्चित थी। लेकिन इन सबने जब अपनी मतदाता सूचियां चेक की तो उसमें उनका नाम ही नहीं था। ऐसे में जहां उनकी उम्मीदों पर पानी फिरा वहीं सरकार के प्रति जन आक्रोश भी उबाल मारने लगा। इन सभी लोगों ने खुलासा किया है कि लोकसभा व विधानसभा चुनावों में इन सबने वोट डाला था। कईयों के पास वोटर कार्ड भी है और इसके साथ अन्य दस्तावेज भी मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग न तो अपना क्षेत्र छोड़ कर कहीं गए हैं और न ही उनके या उनके परिजनों द्वारा ऐसे दस्तावेज पेश किए हैं कि उनका वोट कट जाए।

इस कड़ी में कई मतदाता ऐसे भी हैं जिनका तबादला हो गया है या मौत हो गई है। उनके नाम वोटर लिस्ट में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कई ऐसी लड़कियां भी शामिल हैं जिनकी शादी हो चुकी है और कईयों को मरे हुए वर्षों हो चुके हैं। लेकिन उनका नाम वोटर लिस्ट से नहीं काटा गया है। उन्होंने कहा कि जब किसी की मौत होती है या शादी हो जाती है तो उनका रजिस्ट्रेशन हटाना कानूनी रूप से अनिवार्य है। जिसके लिए 21 दिन की अवधि निर्धारित है। फिर भी ऐसे नाम सूची में क्यों और किस कारण से मौजूद हैं। उन्हें समय से क्यों चेक नहीं किया गया। इससे संबंधित सारा रिकॉर्ड पंचायत व इससे संबंधित विभागों के पास मौजूद है। उन्होंने कहा कि जाहिर तौर पर साफ है कि सरकार ने अपने पक्ष का अंदाजा लगाकर मतदाताओं को मत से वंचित रखने की यह बड़ी साजिश की है जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा।
 

prashant sharma