अब बैटरी चार्ज करने के झंझट से मिलेगा छुटकारा, आईआईटी मंडी ने विकसित की ये तकनीक

punjabkesari.in Friday, May 13, 2022 - 12:33 AM (IST)

मंडी (रजनीश हिमालयन): आने वाले समय में बैटरी फ्री वायरलैस कैमरे, मॉनीटर, सैंसर व स्किन अटैचेबल सैंसिंग प्लेटफार्म, कांटैक्ट लैंस, मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन और व्यक्ति से व्यक्ति संवाद करने के उपकरण उपलब्ध होंगे। यही नहीं वायरलैस पावरिंग और संचार प्रौद्योगिकी तकनीक विकसित होने से उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली बैटरी को चार्ज करने के झंझट से भी छुटकारा मिलेगा। यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकत्र्ता द्वारा विकसित की गई इंटरनैट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के उपयोगों के लिए कार्य सक्षम वायरलैस पावरिंग और संचार प्रौद्योगिकी से संभव हो पाएगा।

क्या है आईओटी 
आईओटी कुछ वस्तुओं का संग्रह है जोकि इंटरनैट के माध्यम से एक-दूसरे से डाटा का आदान-प्रदान करता है। आईओटी डिवाइस में स्मार्ट घर के सामान्य घरेलू उपकरणों से लेकर अत्याधुनिक औद्योगिक व वैज्ञानिक उपकरण आते हैं। इन स्मार्ट उपकरणों में सैंसर, चिप व सॉफ्टवेयर होते हैं। उपकरणों को संचालित करने के लिए हर समय बिजली की आवश्यकता रहती है। अन्य उपकरणों के साथ संचार में रहना होता है लेकिन बैटरी जैसे बिजली के सरल स्रोत ऐसे उपकरणों के लिए अनुपयुक्त हो सकते हैं क्योंकि आईओटी को निरंतर पावर चाहिए होती है। इनमें चीजें एम्बेडेड या छिपी हो सकती हैं जिसके चलते बैटरी बदलना कठिन होता है। 

पावर के 2 विकल्पों पर किया अध्ययन
शोध टीम ने पावर के ऐसे 2 विकल्पों पर शोध किया है, जिनमें प्रथम रेडियो फ्रीक्वैंसी एनर्जी हार्वैस्टिंग (आरएफईएच) और द्वितीय बैकस्कैटर कम्युनिकेशन है। आरएफईएच में एक डैडिकेटिड ट्रांसमीटर आईओटी डिवाइस को रेडियो तरंगों के माध्यम से एनर्जी प्रदान करता है। यह संचार के लिए मोबाइल फोन में उपयोगी तरंगों की तरह होता है। बैकस्कैटर संचार में पहले की तरह रेडियो तरंगों के माध्यम से पावर प्रदान की जाती है लेकिन यह एक डैडिकेटिड ट्रांसमीटर के बिना होता है। इसकी बजाय आईओटी उपकरणों को पावर देने के लिए रिफ्लैक्शन और बैकस्कैटर के माध्यम से आसपास उपलब्ध आरएफ सिग्नल, जैसे वाई-फाई, सैल फोन सिग्नल आदि का लाभ लिया जाता है। 

आरएफईएच और बैकस्कैटर में हैं अपनी क्षमताएं-कमियां
आरएफईएच और बैकस्कैटर उपकरण की अपनी क्षमताएं और कमियां हैं। आरएफईएच की तुलना में बैकस्कैटर काफी ऊर्जा की बचत करता है जिससे डाटा दर और संचार की सीमा दोनों में कमी आती है। आईआईटी मंडी की टीम ने इन 2 तकनीकों की पूरक प्रकृति का लाभ उठाते हुए और सावधानी से दोनों को जोड़कर सिस्टम को आबंंटित पावर का उपयोग करते हुए सेवा की गुणवत्ता (क्यूओएस) और दक्षता का वांछित स्तर प्राप्त किया है। 
PunjabKesari, Doctor Sidharth Sarma and Shivam Gujram Image

इन्होंने किया शोध
डाॅ. सिद्धार्थ सरमा सहायक प्रोफैसर स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग एंड इलैक्ट्रीकल इंजीनियरिंग आईआईटी मंडी, छात्र शिवम गुजराल पीएचडी स्कॉलर स्कूल ऑफ कम्प्यूटिंग एंड इलैक्ट्रीकल इंजीनियरिंग आईआईटी मंडी ने मिलकर यह शोध किया है। शिवम गुजराल ने बताया कि को-ऑप्रेटिव मॉडल का विकास किया है जिसमें बैकस्कैटर कम्युनिकेशन और रेडियो फ्रीक्वैंसी एनर्जी हार्वैस्टिंग (आरएफईएच) डिवाइस एक साथ काम करते हुए समय और एंटीना वेट जैसे संसाधनों का अधिक उपयुक्त आबंटन करते हैं। डाॅ. सिद्धार्थ सरमा ने बताया कि दोनों डिवाइसों के लिए एक डैडिकेटिड पावर ट्रांसमीटर का उपयोग किया गया है जिसमें सूचना संचार का कार्य बैकस्कैटर डिवाइस ने एक मोनोस्टैटिक कन्फिगरेशन और आरएफईएच डिवाइस ने एचटीटी प्रोटोकॉल के माध्यम से किया। शोधकर्ताओं की योजना सिस्टम के प्रदर्शन के विश्लेषण के लिए वास्तविक समय में संयुक्त रेडियो फ्रीक्वैंसी एनर्जी हार्वैस्टिंग और बैकस्कैटर संचार सिस्टम लागू करने की है। इसमें 2 पूरक प्रौद्योगिकियों के हार्डवेयर पहलुओं पर काम करना शामिल होगा। प्रस्तावित सिस्टम से बैटरी फ्री वायरलैस कैमरे, वायरलैस मॉनीटर, सैंसर, स्किन-अटैचेबल सैंसिंग प्लेटफार्म, कांटैक्ट लैंस, मशीन-टू-मशीन कम्युनिकेशन और मनुष्य से मनुष्य के बीच में आसानी से संवाद करने में मददगार होगा। 

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Content Writer

Vijay

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