अब खेतों में बर्बाद नहीं होगा पानी, ऊना के नन्हे वैज्ञानिकों ने तैयार किया अनोखा मॉडल

Tuesday, Nov 26, 2019 - 02:23 PM (IST)

ऊना (अमित) : जहां एक ओर पूरा देश पानी की किल्लत से जूझ रहा है वहीं हिमाचल प्रदेश का जिला ऊना भी इस समस्या से अछूता नहीं है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ देश के 255 ब्लॉक में पानी का स्तर बहुत ही नीचे जा रहा है इन्ही ब्लॉक में जिला ऊना भी शुमार है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ऊना जिला में एक दशक में भू-जल स्तर लगभग 2 मीटर नीचे गया है, जो कि बेहद गंभीर स्थिति है। इसका मुख्य कारण पानी की बर्बादी है, ऊना जिला में ही जमीन के नीचे मौजूद पानी से 148 प्रतिशत ज्यादा प्रयोग हो रहा है। इस चिंताजनक स्थिति से निपटने के लिए ऊना के छात्रों का द्वारा तैयार किया गया मॉडल कारगर साबित हो सकता है।

 ऊना मुख्यालय के जेएस विजडम स्कूल के आठंवीं कक्षा के छात्रों लक्ष्य शर्मा और गुरमन प्रीत कौर ने  खेतों में होने वाली पानी की बर्बादी को रोकने और किसानों के समय की बचत के उद्देश्य से इस मॉडल को तैयार किया है। हाल ही में पंचकूला में आयोजित हुई क्षेत्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में ऊना के छात्रों के इस मॉडल को प्रदर्शित किया गया था। पंचकूला में आयोजित प्रतियोगिता में हिमाचल और हरियाणा के करीब 65 स्कूलों से विभिन्न श्रेणियों के 132 मॉडल प्रदर्शित किये गए थे। इसी प्रतियोगिता के तहत ऊना के लक्ष्य और गुरमन प्रीत के मॉडल को सीबीएसई की राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए चयनित किया गया है। 

इस मॉडल को बनाने वाले लक्ष्य शर्मा ने बताया कि इस मॉडल में लगाए गए सेंसर की मदद से किसान देश दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर मात्र एक फोन कॉल के जरिये खेतों में पानी को चला और बंद कर सकते है। यही नहीं अगर किसान खेतों में छोड़े गए पानी को बंद करना भूल गया है तो एक स्तर पर पहुँचते ही सेंसर की मदद से पानी की मोटर खुद ही बंद हो जाएगी।

छात्रों की माने तो देश में हो रही पानी की बर्बादी को देखकर ही उनको इस मॉडल को बनाने का विचार आया। छात्रों की माने तो देश में बढ़ रही पानी की किल्लत को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जलशक्ति अभियान का भी आगाज किया गया है और यह मॉडल इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है। छात्रों की माने तो इस मॉडल के जरिये सिर्फ पानी की बर्बादी ही नहीं बल्कि किसानों के समय और बिजली की भी बचत होगी।

वहीं स्कूल के छात्रों की इस उपलब्धि से स्कूल प्रबंधक भी गदगद है। स्कूल के प्रबंधक निदेशक सुनील चौधरी ने कहा कि उनके स्कूल और प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि आज देश में भू-जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है और यह मॉडल इस समस्या से निपटने के लिए कारगर साबित हो सकता है। 

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Simpy Khanna