अब मिर्गी के दौरे के उपचार में भी काम आएगा केसर, पढ़ें खबर

Tuesday, Feb 19, 2019 - 11:36 PM (IST)

पालमपुर (भृगु): खाद्य पदार्थों में खुशबू तथा रंग बिखेरने वाला केसर मिर्गी के दौरे के उपचार में भी काम आएगा। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में इस दिशा में अध्ययन किया गया है। जानकारी अनुसार संस्थान द्वारा एनिमल मॉडल पर इसका मूल्यांकन किया जा रहा है। संस्थान इस बात का अध्ययन कर रहा है कि मिर्गी के दौरे को दूर करने में केसर किस प्रकार से सहायता कर सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि केसर के पराग में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो मिर्गी के दौरे को कम करने की क्षमता रखते हैं।

औषधियों, उपचार तथा खाद्य पदार्थों में होता है प्रयोग

केसर का उपयोग वर्षों से औषधियों, उपचार तथा खाद्य पदार्थों में होता आया है। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा प्रदेश में केसर उत्पादन के प्रयासों को पंख लगते दिख रहे हैं। भरमौर में पैदा किया गया केसर गुणवत्ता में कश्मीरी केसर के बराबर पाया गया है तो इस क्षेत्र में केसर का प्रति हैक्टेयर औसत उत्पादन राष्ट्रीय उत्पादन से अधिक आ रहा है। देश में केसर का प्रति हैक्टेयर औसत उत्पादन 2.6 किलोग्राम है जबकि भरमौर में केसर का प्रति हैक्टेयर औसत उत्पादन 2.8 किलोग्राम रहा है।

हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान की केसर के क्षेत्र में नई पहल

हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा केसर के क्षेत्र में नई पहल की गई है। देश में कश्मीरी केसर उत्पादन के अंतर्गत आता है परंतु देश में केसर की खपत तथा इसके उत्पादन में भारी अंतर है। आंकड़ों अनुसार देश में प्रतिवर्ष 100 टन केसर की खपत होती है। यह विश्व के कुल उत्पादन का एक चौथाई है जबकि उत्पादन का आंकड़ा 4 से 16 टन के मध्य ही होता रहा है, ऐसे में देश में केसर की मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में केसर का आयात अन्य देशों से किया जाता है।

विश्व में ईरान केसर उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र

विश्व में ईरान केसर उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र है। विश्व के 95 प्रतिशत केसर का उत्पादन ईरान में होता है जबकि इसके पश्चात स्पेन में केसर का उत्पादन होता है। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा हिमाचल के भरमौर तथा सांगला, उत्तराखंड के बागेश्वर तथा मुंशियारी, तमिलनाडु के उटी, सिक्किम, मणिपुर तथा अरुणाचल ने केसर उत्पादन की पहल की है। बताया जा रहा है कि संस्थान द्वारा मैथमैटिक मॉडङ्क्षलग के पश्चात मैडीकल के पश्चात इन क्षेत्रों को चिहिन्त कर इन्हें केसर उत्पादन से जोडऩे का प्रयास किया है।

एनिमल मॉडलिंग के आधार पर किया जाता है मूल्यांकन

आई.एच.बी.टी. के निदेशक डा. संजय शर्मा ने बताया कि संस्थान द्वारा जिस भी क्षेत्र में कार्य किया जाता है उसका एनिमल मॉडलिंग के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। केसर किस तरह से मिर्गी के दौरान को दूर करने में मदद कर सकता है इसका भी मूल्यांकन संस्थान द्वारा किया जा रहा है। संस्थान द्वारा कश्मीर के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में केसर उत्पादन की संभावना को भी देखते हुए उत्पादन आरंभ किया है ताकि देश में केसर की मांग को पूरा किया जा सके।

Vijay