‘जीरो’ बजट नहीं अब ‘सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि’ होगा योजना का नाम

Tuesday, Oct 16, 2018 - 10:52 PM (IST)

शिमला: ‘जीरो’ बजट खेती का नाम बदलकर अब ‘सुभाष पालेकर प्राकृतिक कृषि’ रखा जाएगा क्योंकिप्राकृतिक खेती को फिर से परिचित करवाने में पद्मश्री सुभाष पालेकर का अहम योगदान रहा है। कृषि विभाग के इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी संस्तुति दे चुके हैं। राज्य सरकार जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी कर औपचारिक ऐलान करेगी। दरअसल जिस खेती को जीरो बजट बताया जा रहा है इस पर पशुधन महंगा होने तथा अन्य कृषि इनपुट की कीमत ज्यादा होने से लागत आ रही है। इस लागत को कम करने के लिए सरकार किसानों को बड़ा तोहफा देने जा रही है।

पशुधन की खरीद को सरकार देगी 53,000 तक का अनुदान
पशुधन की खरीद के लिए राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को 53,000 तथा सामान्य श्रेणी के किसानों को 45,000 रुपए तक अनुदान दिया जाएगा। चूंकि प्राकृतिक खेती में पशुपालन सबसे महत्वपूर्ण कंपोनैंट है। इसके बगैर प्राकृतिक खेती की कल्पना भी नहीं हो सकती इसलिए सरकार गाय की खरीद के लिए आर्थिक मदद प्रदान करेगी। यह अनुदान देसी नस्ल की रैड सिंधी, थार-पारकर, घीर तथा साहिवाल गाय की खरीद पर ही मिलेगा। देसी नस्ल की गाय का गोबर और गौमूत्र ही प्राकृतिक खेती के लिए उपयोगी बताया जा रहा है।

गाय के गोबर व गौमूत्र से 5 एकड़ में प्राकृतिक खेती कर सकते हैं किसान
सुभाष पालेकर के मुताबिक एक गाय के गोबर व गौमूत्र से किसान 5 एकड़ में प्राकृतिक खेती कर सकते हैं। इस पर पद्मश्री सुभाष पालेकर सालों से सफल प्रयोग करचुके हैं। विभिन्न अनुसंधानों के मुताबिक अंधाधुंध कीटनाशकों व रसायनों के इस्तेमाल के कारण लोग कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इससे निरंतर जमीन की उपजाऊ शक्ति खत्म हो रही है। मंगलवार को भी शिमला के कुफरी में 1,000 से अधिक किसानों को दिया जा रहा प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इसमें सुभाष पालेकर किसानों को रासायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग न करने के लिए प्रोत्साहित करते दिखे। कृषि विभाग को प्राकृतिक खेती के सर्टीफिकेशन की जिम्मेदारी दी जाएगी।

सरकार ने किया था जीरो बजट खेती के लिए 25 करोड़ का प्रावधान
हिमाचल सरकार ने जीरो बजट खेती के लिए 25 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान कर रखा था। इसलिए कुछ लोग निरंतर इस पर भी सवाल उठा रहे थे। इसके पीछे कृषि विभाग का तर्क है कि यह बजट किसानों को जागरूक करने के लिए होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए है लेकिन 25 करोड़ रुपए केवल प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर खर्च करना भी तर्कसंगत नहीं है। ऐसे में सरकार जीरो शब्द को ही इस योजना से हटाने जा रही है।

योजना से हटा दिया जाएगा जीरो शब्द : मारकंडा
कृषि मंत्री डा. राम लाल मारकंडा ने बताया कि  मैंने मुख्यमंत्री से जीरो बजट खेती का नाम बदलने को लेकर चर्चा कर ली है। मुख्यमंत्री भी इस योजना का नाम सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती रखने को तैयार हैं। जल्द ही इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। योजना से जीरो शब्द को हटा दिया जाएगा।

Vijay