सावधान! अब इनके काटने से भी हो सकती है ये जानलेवा बीमारी

Thursday, Oct 11, 2018 - 02:42 PM (IST)

झंडूता : राजकीय उच्च विद्यालय मंगरोट में रैबीज बीमारी पर एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। स्वास्थ्य विभाग खंड झंडूता की ओर से आयोजित इस शिविर की अध्यक्षता विद्यालय की प्रधानाचार्या सुमन चड्ढा ने की। स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्वास्थ्य शिक्षक रमेश चंदेल इसमें मुख्य वक्ता रहे। रैबीज रोग पर प्रकाश डालते हुए रमेश चंदेल ने कहा कि रैबीज रोग यदि एक बार किसी को हो जाए तो मृत्यु निश्चित है। 6 से 15 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में इस बीमारी के होने की संभावनाएं बहुत प्रबल होती हैं। 

99 प्रतिशत यह रोग पागल कुत्ते के काटने के कारण होता है और शेष बीमारी बंदरों, गीदड़ों व जंगली चूहों आदि के काटने से भी हो सकती है। घरेलू स्तर पर इस बीमारी डॉग बाइट के प्रबंधन के बारे में रमेश चंदेल ने बताया कि यदि कोई भी कुत्ता या ऐसा जानवर किसी को काट ले तो 10 दिन तक उसको निगरानी में रखा जाना चाहिए। यदि उसमें कोई पागलपन के लक्षण दिखाई दें तो या काटने वाला कुत्ता मर जाए या गायब हो जाए तो प्रभावित व्यक्ति को इमोवैक्स वैक्सीन के 5 इंजैक्शन लगवाने चाहिए। जो पहले, तीसरे, 7वें, 21वें और 28वें दिन के क्रम में लगते हैं। उन्होंने आगे बताया कि कुत्ते द्वारा काटने से बने जख्म को 15 मिनट तक किसी एंटी सैप्टिक या साबुन से खुले पानी से लगातार धोना चाहिए और जख्म को बंद नहीं करना चाहिए ताकि रैबीज के कीटाणु शरीर के अंदर बंद न होने पाएं। 
 

kirti