कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न करने पर मंडी संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशियों को नोटिस जारी

punjabkesari.in Tuesday, Oct 12, 2021 - 09:52 PM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न करने पर मंडी संसदीय क्षेत्र के सभी प्रत्याशियों को जिला निर्वाचन अधिकारी मंडी ने नोटिस जारी कर दिए हैं। इनसे चुनावी जनसभाओं, रैलियों और बैठकों में तय संख्या से अधिक लोग इकट्ठा करने को लेकर जवाबतलब किया गया है। इसकी पुष्टि मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) सी. पालरासू ने की है। सीईओ ने कहा कि मंगलवार को 8 जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जिलाधीश को कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हंै। उन्होंने कहा कि जिस भी प्रत्याशी की चुनावी रैली, जनसभा और बैठकों में तय संख्या से अधिक लोग शामिल होंगे, उसके खिलाफ भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशानुसार सख्त कार्रवाई की जाए।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दे रखी है तीसरी लहर की चेतावनी

गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नवम्बर महीने में कोरोना की तीसरी लहर की चेतावनी दे रखी है। बावजूद इसके चुनावी जनसभाओं, बैठकों और रैलियों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है। हैरानी इस बात की है कि अधिकतर नेता और आम जनता भी मास्क नहीं पहन रही है। सामाजिक दूरी के नियमों का भी पालन नहीं किया जा रहा है जबकि भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के निर्देशानुसार डोर टू डोर प्रचार के दौरान प्रत्याशी के साथ अधिकतम 5 कार्यकर्ता ही चल सकते हैं लेकिन प्रदेश में ज्यादातर प्रत्याशियों के साथ दर्जनों लोग प्रचार में डटे हैं।

इंडोर चुनावी बैठकों में भी नहीं रखा जा रहा ध्यान

इंडोर में होने वाली चुनावी बैठकों में 50 प्रतिशत क्षमता के साथ लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत है लेकिन चारों चुनाव क्षेत्रों में इसका भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है। स्टार प्रचारकों की रैली में अधिकतम 1,000 लोग और दूसरे नेताओं की रैली में अधिकतम 500 लोग ही शामिल हो सकते हैं। वहीं प्रदेश की चारों सीटों पर जारी चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ऐसा लग रहा है, जैसे कोरोना खत्म हो गया है।

नगर निगम चुनाव के दौरान भी बरती गई थी ऐसी ही लापरवाही

वर्ष 2021 के शुरूआत में भी 4 नगर निगम और 6 नगर पंचायतों के चुनावों के दौरान भी ठीक इसी तरह की लापरवाही बरती गई थी। इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश में जो तबाही मचाई थी, वह किसी से नहीं छिपी है। उस दौरान राज्य की कोरोना संक्रमण दर 28 प्रतिशत तक के स्तर को छू गई थी। पश्चिम बंगाल के विधानसभा और उत्तर प्रदेश के पंचायतीराज चुनाव में भी ऐसी ही लापरवाही का खमियाजा ये दोनों राज्य भुगत चुके हैं, फिर भी इन सबकी परवाह किए बगैर राजनीतिक दल और आम लोग सबक लेने को तैयार नहीं हैं।

कोरोना के सही आंकड़े नहीं आ पा रहे सामने

चिंता इस बात की है कि जिस दिन से राज्य में उपचुनाव का ऐलान हुआ है, उस दिन के बाद से कोरोना के सही आंकड़े भी सामने नहीं आ पा रहे हैं क्योंकि 29 सितम्बर से कोरोना की टैस्टिंग लगभग आधी कर दी गई है। इसमें भी ज्यादातर टैस्ट रैपिड एंटीजन द्वारा किए जा रहे हैं।

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Content Writer

Vijay

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