82 साल की उम्र में भी नहीं छोड़ी पढ़ाई, शिक्षकों के लिए बन गए मिसाल

Tuesday, May 29, 2018 - 05:39 PM (IST)

घुमारवीं: शिक्षा बांटने से कम नहीं होती है। सरकार भले ही उन्हें सेवानिवृत्त कर दें लेकिन वास्तविक शिक्षक अपने किरदार को आजीवन जीवंत बनाए रखते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक हैं जो 80 वर्ष से ज्यादा उम्र में भी बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद भी उनमें बच्चों को शिक्षा प्रदन करने जज्बा बरकरार है। मलोट गांव के मैहताब सिंह वर्ष 1995 को सेवानिवृत्त होने के बाद इन दिनों कुठेड़ा मरहाना स्कूल पहुंचकर छात्रों को शिक्षा देते हैं। वह वर्ष 1960 से 1995 तक सरकारी शिक्षक रहे। रिटायर होने के बाद उनका शिक्षा प्रदान करने का जुनून कायम रहा और स्कूल में पहुंच कर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। पढ़ाने का शौक ऐसा कि राह चलते भी बच्चे जिज्ञासा प्रकट करते तो वह वहीं उसका उत्तर बताते हैं।


पैदल छाता लेकर स्कूल पहुंचकर दे रहे शिक्षा
शिक्षादान के जरिए वह राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वह बुढ़ापे में पैदल छाता लेकर स्कूल पहुंचकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। उनका कहना है कि विद्यालय में शिक्षक की कमी होने पर बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके चलते वह स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि जब जिंदगी में शिक्षक का किरदार मिल गया तो उसको आजीवन निभाने का संकल्प ले लिया। गरीब व असहाय बच्चों को पढ़ाने में बेहद प्रसन्नता महसूस होती है।


बचपन से ही शिक्षा के प्रति रहा लगाव
बताते चलें कि मलोट गांव के निवासी मैहताब सिंह एक साधारण परिवार से हैं। 22 जुलाई, 1936 को जन्मे मैहताब सिंह को बचपन से ही शिक्षा के प्रति लगाव रहा। भाइयों का शिक्षा के प्रति सहारा मिलने के बाद शिक्षा प्राप्त कर वह सरकारी स्कूल में अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। इसके बाद उन्होंने छोटे भाई को भी शिक्षा के लिए प्रेरित किया। बाद में उनके छोटे भाई भी एक शिक्षक के पद पर तैनात हुए। मैहताब सिंह वर्ष 1995 को दधोल स्कूल से सेवानिवृत्त हुए। इसके उपरांत कुठेड़ा मरहाना स्कूल में जब-जब शिक्षकों की कमी हुई तब-तब उन्होंने स्कूल पहुंच कर बच्चों को शिक्षा प्रदान की।


शिक्षा दान से बड़ा कोई दान नहीं
मैहताब सिंह ने बताया कि शिक्षा दान से बड़ा कोई दान नहीं है। इसमें आत्म संतुष्टि मिलती है। शिक्षा सभी के लिए आवश्यक है। शिक्षा के विकास के साथ ही समाज व देश को मजबूती मिल सकती है। बच्चों के भविष्य को देखते हुए वह बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।


शिक्षक की कमी के चलते स्कूल पहुंच रहे मैहताब
प्राथमिक पाठशाला कुठेड़ा मरहाना के मुख्य शिक्षक बलबीर सिंह ने बताया कि स्कूल में शिक्षक की कमी को देखते हुए सेवानिवृत्त अध्यापक मैहताब सिंह पिछले कुछ समय से स्वैच्छिक रूप से बच्चों को शिक्षा देने के लिए आ रहे हैं।

Vijay