कैसे हो कार्रवाई: हिमाचल में खनन माफिया को नहीं किसी का डर, दिखाते हैं सत्ता का रौब

Sunday, Jul 14, 2019 - 09:55 AM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): खनन को लेकर राष्ट्रव्यापी हो-हल्ला काफी समय से चला हुआ है। पहाड़ी राज्य हिमाचल में यह एक अहम मुद्दा है कि खनन किस सीमा तक हो। चीरहरण की क्या लिमिट हो। पर्यावरणविदों से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं तक हर कोई अवैज्ञानिक अवैध खनन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहा है, लेकिन असर उस स्तर पर नहीं हो रहा है। मैटीरियल के दोहन की होड़ के बीच प्रकृति के साथ खुला खिलवाड़ चल रहा है। निश्चित रूप से निर्माण के लिए रेत व बजरी अहम हैं, लेकिन सवाल यह है कि किस हद तक और किस स्तर तक?  

बड़ा सवाल

ऐसा नहीं कि व्यवस्था में मौजूद लोग इस अवैध खनन और अवैज्ञानिक दोहन के खिलाफ नहीं हैं। जो लोग इसके खिलाफ आवाज बुलंद करते हैं, या तो उनकी आवाज बंद कर दी जाती है या उस आवाज को जबरन कुचल दिया जाता है। कई बार आवाज अनसुनी कर दी जाती है। सवाल एक पक्ष का नहीं और न ही एक सरकार से जुड़ा हुआ है। खनन निरंतर प्रक्रिया से बिना रोकटोक जारी है। कोई इस पर सख्ती से लगाम लगाने के लिए आगे नहीं आ रहा है। जो लोग इस व्यवस्था से टकराते हैं, उन्हें खमियाजा भुगतना पड़ता है।

व्यवस्था देखिए

अवैध खनन की दास्तां काफी रोचक है। जब शिकायत मिलने पर डी.एस.पी. दल-बल सहित मौके पर पहुंचते हैं तो उन्हें हथियारबंद लॉबी की धमकियों का सामना करना पड़ता है। स्थिति देखिए कि जिस पुलिस को इस अवैज्ञानिक व अवैध खनन पर कार्रवाई करनी चाहिए वही पड़ोसी राज्य की पुलिस खननकारियों को संरक्षण दे रही थी। हौसला देखिए कि 20 से 25 खननकारी तेजधार हथियारों के साथ पुलिस को धमकाने के लिए पहुंच जाते हैं। ऊना जिला के बॉर्डर एरिया पर यह घटना इस बात का प्रमाण है कि खननकारियों की जड़ें कितनी मजबूत हैं। आखिर कौन है जो प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से इस धंधे को पनाह दे रहा है। खनन एक सीमा तक बंधा हुआ नहीं है। 

सोलन जिला में खनन रोकने गए प्रोबेशनर एक आई.ए.एस. अधिकारी को रौंदने का प्रयास होता है। खनन माफिया नहीं चाहता कि उनके इस कृत्य में कोई दखलअंदाजी हो। इसी जिला में एक अधिकारी जब अवैध खनन से लदे वाहनों को रोकने का प्रयास करता है तो उसे तबादले का सामना करना पड़ता है। स्थिति सिरमौर के बॉर्डर क्षेत्रों में भी बेहतर नहीं है। जांच करने गए अधिकारियों पर टिप्पर चढ़ाने का प्रयास होता है। एक ताकतवर लॉबी रेत और बजरी की कालाबाजारी में जुटी हुई है। सीमाओं से हटकर हर तरफ इसे संरक्षण देने वाले प्रभावशाली लोग हैं। सरकारें भी कहीं न कहीं बौनी नजर आती हैं। व्यवस्था टकराने का साहस नहीं कर पाती है। आखिर इस खनन के खेल के पीछे काफी मोटी रकम प्रवाहित होती है। 

सीमा क्षेत्रों में हालत खराब

बॉर्डर एरिया पर स्थिति बदस्तूर खराब है। खेल ऐसा कि जो भी टकराए, चूर-चूर हो जाए। खनन रात के अंधेरे में और गुंडातत्वों के संरक्षण में। काफी लोग हैं जो रात के अंधेरे में यह पहरा देते हैं कि कोई उस तरफ आंख भी उठाकर न देखे। हथियारों से लैस गुंडातत्व अवैध खनन की सुपारी लेते हैं। स्थिति यह है कि बॉर्डर के क्षेत्रों में आने वाले समय में प्रलय से सामना होगा। सिक्कों की खनक के आगे सब गौण हो चुका है। चाहे सीमा इधर की हो या उधर की। 

एक अधिकारी की व्यथा

कांगड़ा जिला में एक विरोध करने वाले को खननकारी मारने का प्रयास करते हैं। उसकी आवाज को दबाने के लिए हाथापाई की जाती है। एक अधिकारी की आंतरिक व्यथा सुनिए। पहाड़ों और नदियों का सीना छलनी होता देख जब एक अधिकारी व्यथित होकर इसे रोकने का साहस करता है तो उसे ऊपर से उसके कत्र्तव्य की लकीर की सीमा बताई जाती है। अपना काम करो। सुबह 10 से सायं 5 बजे तक। नसीहत देकर अधिकारी को चुप करवा दिया जाता है। आखिर कौन है जो इस खेल के पीछे है। व्यथित अधिकारी अब उस आवाज को अनसुना कर देता है जो खनन के खिलाफ उसके पास पहुंचती है। हाथ बंधे हैं और कत्र्तव्य की नसीहत उसे दे दी गई है।

दूसरे अधिकारी का दर्द

एक अधिकारी ने जब पाया कि बॉर्डर पर खनन काफी हो रहा है तो उसने साहस किया। जनाब पहुंच गए बॉर्डर पर और एक साथ रेत-बजरी से लदे ओवरलोडिड बिना किसी दस्तावेज के 11 टिप्परों को लाइन में लगा दिया गया। अभी कुछ ही देर हुई थी कि अधिकारी को गाड़ियां छोड़ देने के आदेश पहुंच गए। व्यथित अधिकारी क्या करते। आगे बढ़ते तो मुश्किल, छोड़ते तो अंतर्रात्मा कचौटती। अंतत: प्रभावशाली लॉबी ने उन्हें गाड़ियां छोड़ने पर मजबूर कर दिया। 

सत्ता के नजदीकी लोग कर रहे खनन : माकपा

अवैध खनन सरकार की गठजोड़ में हो रहा है। सत्ता के नजदीकी लोग अवैध खनन का कारोबार कर रहे हैंं। सरकार अवैध खनन का वैज्ञानिक तकनीक से कारोबार करे तथा सरकार इसे लीज पर दे। क्योंकि नए मकान बनते रहने हैं तथा अवैध खनन भी होता रहेगा। इसको रोकने के लिए सरकार अलग से नीति बनाए।                                                     


 

Ekta