21वीं सदी में भी भाग्य रेखा से नहीं जुड़ा ये स्कूल, शिक्षा पाने के लिए हर रोज मौत से जंग लड़ रहे छात्र

Tuesday, Jan 21, 2020 - 05:34 PM (IST)

शिलाई (रवि तौमर): कांग्रेस की सरकार हो चाहे भाजपा की। इनके विकास के दावे तो हमेशा भाषणों में ही नजर आते हैं जबकि धरातल पर सच्चाई कुछ और ही बयां करती है। इसका उदाहरण जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के अंतर्गत आता बादली ढाडस स्कूल है, जहां पर 500 के लगभग छात्र-छात्राएं हर रोज मौत से जंग जीतकर शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते हैं। बता दें कि यहां पर 3 पंचायतों के छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचते हैं लेकिन सिरमौर जिला का ये एक ऐसा स्कूल है जो आज तक सड़क जैसी सुविधा से महरूम है।

3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर पहुंचना पड़ता है स्कूल

स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्रों को 3 किलोमीटर दूर पैदल चलकर पहुंचना पड़ता है। रास्ता इतना खतरनाक है कि देखकर भी आपको डर लगेगा। यही नहीं, कई छात्र-छात्राएं तो ऐसे भी हैं जो घने जंगल के रास्ते शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं। उस जंगल में कई बार तेंदुआ कई पशुओं को अपना शिकार भी बना चुका है, उसके बावजूद भी बेटियां इसी जंगल से रोज शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल पहुंचती हैं। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी स्थानीय नेता हो या प्रशासन जो भी विकास की बातें कर रहे हैं वे सब धरातल पर खोखली साबित हो रही हैं।

क्या कहते हैं छात्र-छात्राएं

छात्रों का कहना है 21वीं सदी में भी हमारा स्कूल सड़क जैसी सुविधा से महरूम है। हमें स्कूल पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता है जिसकी वजह से हमारी पढ़ाई पर भी असर हो रहा है। छात्राओं का कहना है प्रदेश व केंद्र सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान की बातें करती हैं लेकिन यहां तो बेटियों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए हर रोज मौत से जंग लडऩी पड़ रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द स्कूल को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए। बता दें कि शासन-प्रशासन द्वारा बेटियों को सशक्त करने के लिए कई तरह के अभियान शुरू किए गए हैं लेकिन ग्रामीण इलाकों की बात की जाए तो आज भी बेटियों को सुविधाएं न के बराबर हैं, जिसके चलते वे आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।

क्या कहते हैं स्कूल के मुखिया व अध्यापक

स्कूल अध्यापिका संगीता तोमर ने बताया कि जितने भी सीनियर सैकेंडरी स्कूल है उन्हें सड़कों से जोड़ दिया गया है लेकिन यह पहला ऐसा स्कूल है जो आज तक सड़क सुविधा से महरूम है। यहां के रास्तों को देखकर खुद भी डर लगता है। स्कूल में सबसे ज्यादा छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए पहुंचती हैं लेकिन जब जंगल के रास्ते से होकर उन्हें गुजरना पड़ता है तो हमेशा चिंता सताती रहती है। वहीं स्कूल के इंचार्ज रमेश नेगी ने बताया कि सड़क सुविधा न होने की वजह से छात्रों को भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। इस समस्या के समाधान के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को लिखित में शिकायत दी गई है लेकिन अभी तक कोई भी कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है। उन्होंने बताया कि एसएमसी मीटिंग में दोबारा से प्रस्ताव भेजा जाएगा ताकि समस्या का जल्द समाधान हो सके।

Vijay