यहां न पार्किंग का हल न सफाई व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं का भी बुरा हाल

Monday, Dec 03, 2018 - 12:44 PM (IST)

नूरपुर : कभी नूरपुर की खूबसूरती पर फिदा नूरजहां का आज का नूरपुर बेनूर हो कर रह गया है। यहां बिना प्लान का बस अड्डा है। पार्किंग की समस्या ऐसी जिसका कोई हल ही नहीं नजर आता। स्वास्थ्य सेवाओं में भी कम तकलीफ नहीं। बात शिक्षा की करें तो यहां एकमात्र डिग्री कालेज है, न तो कोई पॉलीटैक्नीक कालेज है और न ही कोई इंजीनियरिंग संस्थान। सफाई व्यवस्था बदहाल। शहर के लोग कूड़ा-कचरा खुले में फैंकने को मजबूर हैं। यही नहीं, वर्ष 2007 में सीवरेज योजना का शिलान्यास किया गया था, लेकिन उक्त योजना पूरी नहीं हो सकी। कूड़ा संयंत्र न होने के कारण चिनवा गांव की कुछ दूरी पर एक चारदीवारी में कूड़े के ढेर लगाए जा रहे हैं।

कुछ बुद्धिजीवी मानते हैं कि  नूरपुर उपमंडल में कभी ज्वाली, फतेहपुर तथा इंदौरा 3 क्षेत्र आते थे। सन् 1996 में ज्वाली को नूरपुर से अलग कर उपमंडल का दर्जा दिया गया। उसके बाद 2015-16 में फतेहपुर तथा उसके बाद 2017-18 में इंदौरा को नूरपुर से अलग कर उपमंडल बनाया गया। 3 उपमंडलों के अलग होने से नूरपुर का महत्व कम हुआ। यही नहीं, नूरपुर को कई बार जिला बनाने की मांग भी उठती रही है। वरिष्ठ पत्रकार राजीव महाजन का कहना है कि उपमंडल टूटने से नूरपुर का नूर लुट चुका है। नूर को वापस लाने के लिए जिला स्तर के संस्थान खोलने होंगे।

kirti