अब चंद घंटों में मनाली से पहुंच सकेंगे करगिल, BRO ने नामुमकिन को किया मुमकिन

Saturday, Sep 07, 2019 - 04:18 PM (IST)

मनाली (सोनू शर्मा) : भारतीय सेना के लिए अब करगिल की सीमा पर पहुंचना आसान होगा। इस कठिन सफर को आसान बनाने के लिए बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली है। उसने जांस्कर को बाया शिंकुला पास होते हुए मनाली से जोड़ कर दारचा, पदम और जांस्कर को करगिल की वादियां मनाली के नजदीक ला दिया है।पहले जांस्कर पहुंचने के लिये लेह होते हुए 850 किमी का कष्टदायक सफर 4 दिन में करना पड़ता था लेकिन अब मनाली से करगिल की दूरी 273 किमी रह जाने से भारतीय सेना एक दिन में ही मनाली से करगिल की वादियो में जा पहुंचेगी।

बीआरओ ने पिछले साल ही कारगे नाले में 160 फीट लंबा बैली पुल तैयार कर कारगे गांव को जांस्कर वैली से जोड़ दिया था। हालांकि सर्दियों में शिंकुला दर्रे के बंद रहने के कारण मनाली-जांस्कर मार्ग पर वाहनों की आवाजाही सुचारू नहीं रहेगी। लेकिन इस सड़क के बन जाने से भारतीय सेना की राहें आसान हो गई है। लद्दाख की जांस्कर घाटी के हर गांवों में इन दिनों त्यौहार जैसा माहौल है। मनाली के तीन युवाओं ने शिंकुला दर्रा पार कर जहां सबसे पहले गाड़ी को जांस्कर के मुख्यालय पदुम पहुंचाने का रिकॉर्ड बनाया है। लद्दाख को यूटी बनाने के बाद यहां के लोगों को एक और अच्छी खबर सुनने को मिली है।

मनाली से तीन लोग गाड़ी लेकर एक ही दिन में 16,600 फुट ऊंचा शिंकुला दर्रा पार कर जांस्कर पहुंचे हैं। इस खबर के बाद जहां सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने मनाली के तीनों युवाओं को बधाई दी है वहीं जांस्कर के हर गाओं में युवाओं का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया जा रहा है। मनाली के युवा सुरेश शर्मा, होटल व्यवसायी व ट्रेवल एजेंट प्रीतम चन्द और फॉर्च्यूनर गाड़ी लेकर सुबह 7 बजे मनाली से निकले थे और 3:30 बजे शिंकुला दर्रा पार कर के 4:15 बजे शिंकुला की दूसरी तरफ लखांग पहुंचे। युवाओ ने फोन पर बताया कि घाटी के पहले गांव करग्याख शाम 6 बजे पहुंचे जहां लोगों ने खतक पहना कर उनका स्वागत किया।जांस्कर के हिमाचल से सड़क द्वारा पहली बार जुड़ता देख सभी ने खुशी से उनका स्वागत किया।

स्थानीय लोगों और बीआरओ के अधिकारियों के अनुसार इस से पहले कुछ गाड़ियां लखांग तक तो आई थी लेकिन ये पहली बार है कि कोई गाड़ी लाहौल के दारचा से चलते हुए व शिंकुला दर्रा पार कर जांस्कर पहुंची हो।38 बॉर्डर रॉड टास्क फोर्स के कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया कि तीनों युवाओं ने गाड़ी से शिंकुला से जांस्कर पहुंच कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया है। उन्होंने बताया कि दारचा शिंकुला सड़क को चौड़ा व पक्का करने का काम युद्धस्तर पर चला हुआ है।जांस्कर स्थित बीआरओ की 126 आरसीसी के सेकंड कमांडिंग ऑफिसर आशीष रंजन ने कहा कि वे इन युवाओं से मिले और उन्हें इस सड़क मार्ग को सर्वप्रथम पार करने का गौरव प्राप्त करने के लिए बधाई दी। उन्होंने बताया कि पदुम-शिंकुला सड़क पर कई स्टेज में जगह जगह काम चला रहा है।

10 साल पहले शुरू हुआ था सड़क बनाने का काम

बीआरओ 70 आरसीसी ने 10 साल पहले लाहौल के दारचा से शकुला तक सड़क बनाने का कार्य शुरू किया था। बीआरओ से पहले टुलकु लामा ने दारचा पदम सड़क का सपना देखा था और अपने स्तर पर काम भी शुरू कर दिया था। शिंकुला दर्रे में टनल बनते ही जांस्कर घाटी 12 महीने खुली रहेगी। बीआरओ चीफ इंजीनियर डीके त्यागी ने बताया बीआरओ सीमावर्ती क्षेत्रों की दूरी घटाकर देश की राहें आसान करने का यथासम्भव प्रयास कर रहा है।

Edited By

Simpy Khanna