तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा के 85वें जन्मदिन पर नहीं हुआ कोई भव्य समारोह

punjabkesari.in Monday, Jul 06, 2020 - 04:41 PM (IST)

धर्मशाला (नृपजीत निप्पी) : कोरोना संकट के बीच 14वें बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा का 85वां जन्मदिन पहली बार मैक्लोडगंज में बिना किसी भव्य समारोह के मनाया गया। दलाईलामा आज 85 वर्ष के हो गए। धर्मगुरु दलाईलामा को आज उनके जन्मदिन पर देश विदेश कि जानी मानी लगभग 130 हस्तियों ने जन्मदिन की बधाई दी और उनकी लम्बी आयु की प्रार्थना की जनवरी में कोरोना वायरस फैलने के बाद से दलाई लामा किसी बाहरी व्यक्ति से नहीं मिले। न ही विदेश दौरा किया। तीन माह तक उन्होंने कोई भी ऑनलाइन और ऑफलाइन टीचिंग नहीं दी। अब वे अपने निवास स्थान से ही दुनिया भर में वीडियो कांफ्रेंसिंग से संदेश दे रहे हैं। भारत और दुनिया भर में रहने वाले धर्मगुरु के अनुयायी अपने घरों पर ही पूजा-पाठ करके धर्मगुरु दलाई लामा का जन्मदिन मनाया। 

धर्मशाला स्थित निर्वासित तिब्बत सरकार के मुख्यालय में भी जन्मदिन साधारण तरीके से मनाया गया। इससे पहले दलाईलामा के जन्मदिन पर मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर और दुनिया भर में 6 जुलाई को भव्य कार्यक्रम होते थे। इन दिनों अपनी टीचिंग में दलाईलामा यह भी कह चुके हैं कि वह कम से कम 112 वर्ष तक जीवित रहेंगे। तिब्बत में दलाईलामा पदवी सर्वोच्च गुरु और राजनेता की है। दलाईलामा के उत्तराधिकारी का चुनाव वंश परंपरा या वोट से नहीं, बल्कि पुनर्जन्म के आधार पर तय होता है। कुछ मामलों में धर्मगुरु अपने ‘अवतार’ संबंधी कुछ संकेत छोड़ जाते हैं। धर्मगुरु की मौत के बाद इन संकेतों की मदद से ऐसे बच्चों की सूची बनाई जाती है जो धर्मगुरु के अवतार जैसे हों। इसमें सबसे इस बात का ध्यान रखा जाता है, ऐसे बच्चे धर्मगुरु की मौत के 9 महीने बाद जन्मे हों। 1933 में 13वें दलाईलामा की मौत हुई थी। इसके बाद तेंजिन ग्यात्सो के रूप में तिब्बत के आम्दो प्रांत में दो साल की उम्र में 14वें दलाईलामा की खोज हुई। दलाईलामा किसान के बेटे हैं। तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि मैं 85 साल का हूं। 14 या 15 साल की उम्र में अपनी आजादी खो दी। जब मैं 24 साल का था, तब अपना देश खो दिया था।
 


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Edited By

prashant sharma

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