सरकारी अस्पतालों में 2 माह से एंटी रैबीज इंजैक्शन नहीं

punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2019 - 11:21 AM (IST)

मनाली (रमेश): मनाली और कुल्लू के साथ-साथ समूचे हिमाचल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में लगभग 2 माह से एंटी रैबीज वैक्सीन का टीका नहीं मिल रहा है, जिससे सरकारी अस्पतालों में (एनिमल बाइट) किसी पशु या कुत्ते आदि के काटने पर इलाज की सुविधा लोगों को नहीं मिल पा रही है। ऐसी स्थिति में मरीज को जो इंजैक्शन लगता है वह अस्पतालों में मुफ्त में मिलता है। जिला कुल्लू के अस्पतालों की इतनी बुरी हालत है कि इन अस्पतालों में यह इंजैक्शन लगभग 2 माह से उपलब्ध ही नहीं है।

ताजा मामला नगर ब्लॉक के अस्पताल में देखने को मिला है और जो मरीज अस्पताल आया था उसे एंटी रैबीज वैक्सीन दी जानी थी। उसे यह कहा गया कि हमारे पास इस तरह का इंजैक्शन नहीं है। आप बाहर से किसी भी दवाई की दुकान से लेकर आओ और हम लगा देंगे, वहीं मरीज को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी। मरीज मनाली के सभी दवाई के स्टोरों में गया लेकिन उसे वह इंजैक्शन नहीं मिला।थक हारकर कर उसे यह इंजैक्शन अंत में किसी एक दवाई की दुकान में 250 से लेकर 350 तक के रेट में मिला और उसे अपने पैसे से यह इंजैक्शन लेना पड़ा। अगर एक इंजैक्शन की कीमत 350 रुपए है तो मरीज को 4 टीके लगते हैं तो उसे करीब 1500 से 2000 रुपए जेब से खर्च करने पड़ रहे हैं।

क्या कहते हैं लोग

एक तरफ हिमाचल सरकार बोल रही है कि किसी भी पशु या कुत्ते द्वारा काटने से ठीक न होने तक सरकार उसका इलाज मुफ्त में करवाएगी। सरकार के दावे केवल फाइलों तक ही हैं। स्थानीय लोगों गौतम ठाकुर, तारु नेगी, बलदेव ठाकुर, रूप लाल, राज कुमार, सुरेश कुमार, कश्मीर सिंह, तेज राम ठाकुर, सुरेश कुमार, विरी सिंह, नबी ठाकुर एवं संजय कुमार इत्यादि का कहना है कि सरकार जहां एक तरफ चुनावों के समय लोगों को प्रलोभन देती है लेकिन सत्ता में आने के बाद अपने मानदेय-भत्तों और अपनी पैंशन को बढ़ाने में लगे रहते हैं। जनता को सरकारी अस्पतालों में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं। जो सरकारी सुविधा सरकार द्वारा दी जाती है वह सुविधा केवल कागजों तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के सभी मंत्रियों और विधायकों को बी.पी.एल. सूची में डाल देना चाहिए क्योंकि सभी मंत्री और विधायक बहुत गरीब परिवार से संबंध रखते हैं।

क्या है एंटी रैबीज वैक्सीन इंजैक्शन

यह टीका किसी भी जानवर या कुत्ते के काटने पर लगाया जाता है। यह सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में मरीजों को उपलब्ध करवाया जाता है तथा इसे 72 घंटे के अंदर लगाना होता है। अगर इसको समय रहते नहीं लगाया गया तो रैबीज वायरस जो कुत्ते की लार में होता है वह मरीज के शरीर में फैल सकता है।
विभाग की लापरवाही वैसे तो यह टीके सरकार द्वारा सभी अस्पतालों को मुफ्त में मुहैया करवाए जाते हैं लेकिन सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इस टीके को आर.के.एस. और एन.एच.एम. में जितना भी पैसा आता है उस पैसे से भी खरीद सकते हैं। यह सारा काम स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को करना होता है। स्थिति देखकर प्रतीत हो रहा है कि विभाग आंखें मूंदकर बैठा हुआ है।


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Edited By

Simpy Khanna

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