पार्वती-3 में चहेतों पर मेहरबान NHPC, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

Tuesday, Apr 23, 2019 - 02:37 PM (IST)

सैंज (बुद्धि सिंह): भले ही पार्वती परियोजना से देश के 7 राज्य रोशन हुए हों लेकिन पार्वती के विस्थापित अभी भी रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि पार्वती-3 में अपनों को जगह नहीं है। हालांकि प्रदेश व केंद्र सरकार भले ही दावे करती आ रही है कि विद्युत परियोजना में हिमाचल के लोगों को 70 फीसदी रोजगार सुनिश्चित किया गया है लेकिन सच्चाई यह है कि पार्वती-3 के विस्थापितों को रोजगार से दरकिनार करना सरकार की पोल खोल रहा है। हैरानी तो इस बात की है कि पार्वती परियोजना चरण-3 ने ग्राम पंचायत लारजी, फाटी व कोटला के 39 परिवारों की 53 बीघा जमीन अधिगृहीत की हुई है।

बदले में एन.एच.पी.सी. में 10 वर्षों में उक्त पंचायत के 7 परिवारों को अस्थायी रोजगार मिल पाया है जबकि 32 परिवार पिछले 10 वर्षों से अस्थायी रोजगार के लिए लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। विस्थापित परिवारों का आरोप है कि परियोजना प्रबंधन ने अपने चहेतों को एक परिवार में 2-2 को रोजगार दिया है तथा अपने चहेतों को गाड़ी लगाने के साथ-साथ अस्थायी रोजगार भी दिया है। लिहाजा विस्थापित परिवारों ने एन.एच.पी.सी. को कटघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया है कि एन.एच.पी.सी. में विस्थापित परिवारों की पूछ नहीं है बल्कि परियोजना प्रबंधन अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। गौरतलब है कि दीपक सहगल केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि एन.एच.पी.सी.-3 में अस्थायी रोजगार पर 217 मजदूर विभिन्न कार्य में कार्यरत हैं। मजे की बात है कि इस आंकड़े के मुताबिक 15 फीसदी विस्थापित परिवारों को ही रोजगार मिल पाया है।

 

Ekta