हिमाचल में सियासत के नए समीकरण, विरोधियों की मुलाकतें बनी चर्चा का विषय

Monday, Jun 18, 2018 - 03:05 PM (IST)

हिमाचल डेस्क: विधानसभा चुनाव के छह महीने बाद हिमाचल की सियासत अब फिर से नए समीकरणों का संकेत दे रही है। पिछले हफ्ते एक ही दिन दो सियासी मुलाकातें ऐसी हुईं कि कई चर्चाओं को जन्म दे गईं। हालांकि इसे आप लोकसभा चुनाव की कवायद भी कह सकते हैं, लेकिन सियासी माहिरों को इन मुलाकातों में कुछ खास दिख रहा है। क्या ? यह अभी साफ़ नहीं है। सबके अपने अपने कयास जारी हैं। इन मुलाकतों में पहली धूमल के घर नड्डा का ब्रेकफास्ट था। हमीरपुर में मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास पर पहुंचे जगत प्रकाश नड्डा समारोह वाले दिन सुबह न सिर्फ नाश्ता करने के बहाने धूमल के घर पर पहुंचे, बल्कि दोनों में करीब एक घंटे तक वन टू वन मुलाकात भी हुई। अब इसमें क्या बात हुई यही ज़माना पूछ रहा है और जानना भी चाहता है। नाश्ता करने के बाद धूमल और नड्डा एक ही गाड़ी में समारोह स्थल पहुंचे। समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी शामिल हुए थे। लेकिन दिलचस्प ढंग से जहां मंच से नड्डा ने धूमल के कसीदे गढ़े, तो धूमल और उनके बेटे सांसद अनुराग ठाकुर भी नड्डा का गुणगान करते दिखे। धूमल ने जगत प्रकाश नड्डा को अपने भाषण में न सिर्फ यशस्वी और कर्मठ बताया बल्कि समारोह में मौजूद लोगों से खड़े होकर नड्डा का धन्यवाद करने को भी कहा।  अनुराग ठाकुर ने तो अपने भाषण से पहले नड्डा के नाम के नारे तक लगवाए। बाद में भाषण देने आए नड्डा ने भी धूमल को सड़कों वाला मुख्यमंत्री बताते हुए धूमल सरकार के कई काम गिनवाते हुए प्रदेश के विकास में धूमल के योगदान को रेखांतकित किया। यही नहीं समारोह के बाद भी दोनों ने मुख्यमंत्री जयराम को अकेले अगले गंतव्य के लिए भेजा जबकि दोनों फिरसे एक ही गाड़ी में गए। जाहिर है यह तमाम बातें सूबे की सियासी फ़िज़ाओं में हलचल पैदा कर गईं। जगत प्रकाश नड्डा को धूमल का धुर विरोधी माना जाता है। यह धूमल का दिया सियासी संताप ही था कि 2009 में नड्डा प्रदेश मंत्रिमंडल छोड़कर संगठन में काम करने दिल्ली चले गए थे। चर्चा थी कि धूमल बतौर मंत्री नड्डा को चलने नहीं दे रहे थे। उसके बाद दोनों का राजनीतिक रण लगातार बढ़ता गया जो विधानसभा चुनाव के दौरान चरम पर दिखा।  दिलचस्प ढंग से विधानसभा चुनाव में धूमल के भावी सीएम घोषित होने के बाद तो नड्डा ने हमीरपुर जिला में प्रचार से दूरी ही बना ली। वे धूमल के नामांकन पर भी नहीं पहुंचे थे। धूमल हारे तो भी उनके समर्थकों ने इसके पीछे नड्डा की साजिश को जिम्मेदार बताया था। ऐसे में अब अचानक इनकी गलबहियां जाहिरा तौर पर चर्चा का केंद्र बनी हुई हैं।  

बाली के घर वीरभद्र 
नड्डा अगर धूमल के घर नाश्ते पर गए तो दिलचस्प ढंग से उसी दिन वीरभद्र ने भी बाली की "गरीब कुटिया " का रुख किया। अपने तीन दिन के हिमाचल प्रवास के दौरान कांगड़ा पहुंचे वीरभद्र सिंह सीधे बाली के घर गए और शाम को चाय पर दोनों में लंबी चर्चा हुई। जाहिर है यह चर्चा भी कई चर्चाओं को जन्म दे गई। आखिर बाली और वीरभद्र सिंह के बीच भी रिश्ते वही धूमल-नड्डा वाले रहे हैं। कभी वीरभद्र के ख़ास सिपाही रहे बाली की महत्वकांक्षाएं जब बढ़ीं, तो दोनों में छत्तीस का आंकड़ा हो गया। बाली के जन्मदिन पर हुए बवाल के बाद जब वीरभद्र सिंह ने उन्हें मंत्री पद से हटाया तो यह कड़वाहट अपने चरम  पर पहुंच गई और दोनों की राहें अलग हो गयीं। पिछले चुनाव में जब बाली सीएम पद के दावेदार हुए तो वीरभद्र  ने अपने खासमखास अरुण मेहरा 'कूका ' को आज़ाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतार कर बाली की राह का रोड़ा बना डाला। बाली हालांकि वो चुनाव जीत गए थे लेकिन अबके उसी कूका ने बीजेपी की टिकट पर लड़कर बाली को घर बैठा दिया। जनचर्चा यही है कि बीजेपी के साथ साथ कूका को वीरभद्र का भी पूरा साथ मिला और बाली के साथ वही हो गया जो त्रेता में भी हुआ था। छिपकर मारे गए तीर से बाली 'हलाक' हो गए। ऐसे में  घर बैठे बाली से मिलने जब वही वीरभद्र पहुंचे तो चर्चा तो होगी ही। हालांकि यहां भी किसी को नहीं पता कि मुलाकात जो हुई तो क्या बात हुई ? लेकिन बिना शक ये दोनों मुलाकातें नई सियासी सुगबुगाहट को जन्म दे गईं।  

Ekta