रिसर्च में वैस्टर्न मैथड की बजाय भारतीय मैथड को अपनाएं शोधार्थी : डाॅ. सुमन शर्मा

Friday, Jul 08, 2022 - 04:47 PM (IST)

धर्मशाला (नवीन): हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में शुरू हुए राष्ट्रीय सोशल साइंस रिसर्च मेथाडोलॉजी सैमिनार के दूसरे दिन शोध कार्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर शोधार्थियों को टिप्स दिए गए। केंद्रीय विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक एवं पर्यटन विभाग के अधिष्ठाता डाॅ. सुमन शर्मा ने शुक्रवार को शोध समस्या के भिन्न-भिन्न चरणों को लेकर शोधार्थियों से महत्वपूर्ण जानकारी सांझा की। दूसरे सत्र में विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं शिक्षा स्कूल के अधिष्ठाता प्रो. विशाल सूद ने शोधार्थियों से शोध से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां सांझा कीं।

पहले सत्र में डाॅ. सुमन शर्मा ने कहा कि वही शोध कार्य उपयुक्त है, जिसमें शोध कार्य द्वारा समाज के लिए कोई योगदान निकल कर सामने आए। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त समस्याओं को खोजना और उस पर शोध कार्य कर सरकार के समक्ष पॉलिसी बनाने के लिए रखना शोध का असली मकसद होना चाहिए। शोधार्थियों को वैस्टर्न मैथड की बजाय भारतीय मैथड का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैस्टर्न देशों और भारत का सामाजिक परिवेश अलग-अलग है, ऐसे में यदि शोधार्थी वैस्टर्न मैथड को अपनाते हैं तो शोध उस तरह से नहीं हो पाता, जिस तरह से शोधार्थी सोचता है। 

केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. विशाल सूद ने बताया कि रिसर्च प्रपोजल को किस तरह से तैयार किया जाता है। लिटरेचर को किस तरह से रिव्यू किया जाता है और साइटेशन का शोध में क्या महत्व है। शोध प्रश्न और शोध उद्देश्य में क्या अंतर है। इसके अलावा सोशल साइंस में इंटरनैट के महत्व सहित कई विषयों को प्रमुखता से लिया गया। कार्यशाला की समन्वयक एवं समाज कार्य विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. शशि पूनम ने शोधार्थियों को टिप्स देने के लिए डाॅ. सुमन शर्मा का आभार व्यक्त किया तथा शोधार्थियों से आह्वान किया कि वो इन उपयोगी जानकारियों को अपने शोध में आत्मसात करें। इस मौके पर देशभर के विभिन्न राज्यों व विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने भाग लेते हुए अपने शोध संबंधी ज्ञान को बढ़ाया।

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Content Writer

Vijay