जसवां रियासत की राजकुमारी प्राग देई के नाम पर पड़ा धरोहर गांव परागपुर का नाम

Saturday, Apr 24, 2021 - 12:02 PM (IST)

परागपुर (मनोज शर्मा) : देश के प्रथम धरोहर गांव परागपुर का इतिहास 560 वर्ष पुराना है। इस गांव का नामकरण 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पटियालों ने जसवां शाही परिवार की राजकुमारी प्राग देई के नाम पर किया गया था। परागपुर का क्षेत्र जसवां की रियासत का हिस्सा था जिसका मुखिया 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में या 17वीं शताब्दी की शुरुआत में कुथियाला सूद के नेतृत्व में सीखे पुरुषों के एक बैंड को तैयार किया, ताकि वह अपने शाहीवंश की राजकुमारी प्राग जश्न मनाने के लिए एक उपयुक्त जगह खोजें। परागपुर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में धौलाधर पर्वत शृंखला में लगभग 3 शताब्दियों पहले विकसित हुआ एक गांव है। परागपुर गांव को 9 दिसम्बर 1997 को राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा विरासत गांव के रूप में अधिसूचित किया गया है। अपने अद्वितीय वास्तुकला और प्राचीन सौंदर्य के कारण हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने दिसम्बर 1997 में परागपुर को देश का पहला विरासत गांव घोषित कर दिया।

सरकारों से नहीं मिलता संरक्षण

हिमाचल प्रदेश का धरोहर गांव परागपुर किसी को भी आकर्षित करने में सक्षम है, लेकिन अफसोस इस गांव को मिलने वाली सुविधाएं आज भी धरी की धरी हैं। देश के प्राचीनतम गांव में से एक धरोहर गांव परागपुर को 1997 में हैरिटेज गांव का दर्जा मिला था, लेकिन संरक्षण न मिलने के कारण इसकी सुंदरता दिन-प्रतिदिन मिटती जा रही है। 60 के दशक में खुला शौचमुक्त परागपुर आज अपनी पहचान देश विदेशों तक बना चुका है यही कारण है कि हर साल लाखों विदेशी सैलानी इसकी सुंदरता को निहारने आते हैं। फिल्म जगत की कई हस्तियां यहां पर अपनी फिल्मों के शूट कर चुकी हैं। ऋषि कपूर, आमीर खान, प्रियांशु, हैजेल, नेहा धूपिया, राजपाल यादव, प्रीटी जिंटा जैसे नामी हस्तियां परागपुर में शूटिंग कर चुके हैं।

1947 से हर साल गणतंत्र दिवस पर फहराया जाता है तिरंगा

खास बात ये कि परागपुर बाजार के मध्य अटियाले पर 1947 से आज दिन तक हर साल शाह परिवार के सौजन्य से 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है, जोकि परागपुर के लोगों की देश भक्ति को दर्शाता है।

यह हैं यहां कि मुख्य समस्याएं

प्राचीनतम गांवो में शुमार इस धरोहर गांव में आजतक उपयुक्त बस स्टैंड तक नहीं है। सड़क पर ही बसें खड़ी होती हैं। देश-विदेश के पर्यटक लाखों की संख्या में यहां आते हैं, लेकिन यहां आने वाली बसों के लिए सरकार ने अभी तक बस स्टैंड उपलब्ध नहीं करवा पाई है। बस स्टैंड की समस्या के साथ-साथ यहां आने वाले पर्यटकों को पार्किंग की समस्या से भी रूबरू होना पड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आज दिन तक प्रदेश की सरकारों ने इन चीजों को अनदेखा किया है। जिसके चलते लोगों को कई समस्या आती है तथा यहां आने वाले लोगों की रुचि भी दिन प्रति दिन कम होती जा रही है। पार्किंग की सुविधा यहां पर न होने के चलते अक्सर यहां पर जाम की समस्या होती है। परागपुर में बनी पी.एच.सी. 8 गांव के लोगों को देखती है। अभी तक इसको अपग्रेड नहीं किया जा सका है। लोगों ने इस बारे मे कई बार सरकारों से मांग भी की लेकिन अभी तक समस्या जस की तस ही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां रात को किसी कि तबीयत खराब हो जाए तो लोगों को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, जबकि यहां चिकित्सों को रहने के लिए काफी साल पहले आवास बनाए गए हैं जो आज खंडहर का रूप धारण कर चुके हैं। देश विदेश के पर्यटक यहां का रुख करते है लेकिन सफाई व्यवस्था को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। साफ-सफाई व्यवस्था का कोई प्रावधान न होने के चलते यहां कूड़े के ढेर देखने को मिलते हैं। वहीं नालियों में पसरी हुई गंदगी किसी भयंकर महामारी का अंदेशा देती है।

क्या कहते हैं प्रतिनिधि

युवा विकास मंडल के संयोजक शिव शाह का कहना है कि मंडल्  परागपुर ने हमेशा परागपुर को धरोहर के नाम पर पर्यटन क्षेत्र में नई पहचान बनाने हेतु आवाज उठाई है। कूड़ा नियंत्रण सयंत्र लगे इसके लिए सरकार से कई बार मांग की है। प्रशासन भी योजनाबद्ध तरीके से परागपुर का विकास करे इसके लिए कई बार सरकार से मांग कर चुके हैं। परागपुर के प्रधान मदन गोपाल का कहना है कि जनता ने हाल ही में पंचायत प्रधान के रूप में चुना है। परागपुर की धरोहर को संवारने के लिए क्या किया जा सकता है इसके लिए सरकार के साथ बात की जाएगी। पंचायत में साफ सफाई के लिए किसी भी तरह का कोई फंड पंचायत को नहीं आता फिर भी हर माह हम अपनी जेब से साफ-सफाई करवाते हैं। 

Content Writer

prashant sharma