कोरोना काल में संजीव को आत्मनिर्भर होने के लिए मशरुम व हल्दी उत्पादन ने दिया सहारा

Friday, Dec 04, 2020 - 11:24 AM (IST)

धर्मशाला (नवीन): कोरोना संकट ने बहुत सारे लोगों की धारणा बदल दी है। शहर की अनजानी दुनिया की जगह अपनी मिट्टी से लगाव बढ़ा है और उसी में भविष्य दिख रहा है। आखिर हो भी क्यों न, आय के साधन की तलाश में कल गांव से जिस शहर गए थे वहां भूखे मरने की नौबत आ गई। सहारा बना वही गांव, जहां आते ही आंखों में जीवन की चमक लौट आई है। लॉकडाउन के दौरान कई लोगों का रोजगार छिन गया है। लोगों के सामने घर-परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। ऐसे हालातों में लोगों को अपने गांवों में खेती ने आसरा दिया है। गांवों में पहुंचकर लोग खेती में जुट गए हैं। ब्लॉक नगरोटा, तहसील बड़ोह गांव सुन्ही के संजीव की नौकरी भी अन्य कई लोगों की तरह कोरोना के चलते लगे लॉकडाऊन के दौरान चली गई। संजीव दिल्ली में टीचिंग प्रोफेशन में थे। यहां आने के बाद ऑनलाइन बच्चों को पढ़ाने में जुटे लेकिन नैट क्रेक्टिवटी के चलते कार्य ठीक से नहीं चला। उसके बाद उन्होंने मशरुम व हल्दी उत्पादन का कार्य शुरु किया। संजीव के मुताबिक एक पुराना शैड था वहां पर पोल्ट्री का कार्य भी शुरु किया है तथा अब तीनों ही कार्य उनकी आमदनी का सहारा बन गए हैं। उन्होंने बताया कि हल्दी को इसलिए चुना क्योंकि जंगली जानवर इसे नुक्सान नहीं पहुंचाते हैं।

अभी सीख रहा हूं, जितना सीखा लोगों को बता रहा हूं
संजीव कहते हैं कि अभी वह सीख रहे हैं। जितना सीखता हूं, उसे अन्य लोगों को भी बता रहा हूं। मशरुम के काम में और भी लोग जुड़ रहे हैं। मशरुम से जो कमाई हो रही है उसको निवेश किया जा रहा है। मशरुम की डेढ़ महीने में फसल तैयार हो जाती है। कार्य का और बढ़ा रहे हैं। यूनिवस्टी से चूजे सस्ते दाम पर मिल जाते हैं। यूनिवस्ट्री से गाइडेंस मिल जाती है लेकिन पहले हिम्मत खुद रखनी पड़ेगी।

यूथ फार्मिंग को व्यवसायिक तौर पर नहीं अपनाता
संजीव ने बताया कि मशरुम के काम में महिलाओं का भी सहयोग लिया जा सकता है। यह इंडोर कार्य है और इसके अच्छे परिणाम हैं। महिलाओं को साथ जोडऩा उनका लक्षय है क्योंकि महिलाएं कार्य करना चाहती हैं लेकिन कई महिलाएं कई कारणों से बाहर नहीं जा पाती हैं। उनका लक्ष्य अन्य लोगों को भी ट्रेंड करना है ताकि और ट्रेनी तैयार हो जाएं। उन्होंने बताया कि यूथ फार्मिंग को व्यावायिक तौर पर नहीं अपनाता है। यहां बहुत रोजगार है।

Jinesh Kumar