हिमाचल के इतिहास में पहली बार गाड़ी नंबर के लिए लगी 1.12 करोड़ से अधिक की बोली

Thursday, Feb 16, 2023 - 06:29 PM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में विलासिता किस कदर बढ़ रही है और वीआईपी नंबरों के लिए होड़ ने हर किसी को आश्चर्यचकित कर दिया है। प्रदेश के इतिहास में शायद पहली बार ऑनलाइन बिडिंग यानी बोली 1 करोड़ रुपए को पार कर गई है। शिमला जिले के कोटखाई आरटीओ ऑफिस से (एचपी 99-9999) नंबर के लिए ऑनलाइन बोली आरंभ हुई। यह बोली देखते ही देखते 1,12,15,500 रुपए तक पहुंच गई है। अभी बोली शुक्रवार यानी 17 फरवरी सायं 5 बजे तक चलेगी। ऐसे में इसके और भी बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह मामला ज्यों ही सुर्खियों में आया, त्यों ही सोशल मीडिया सहित हर प्लेटफार्म पर छा गया। इस पर तरह-तरह के कमैंट्स सोशल मीडिया पर आने लगे है। 

आरक्षित मूल्य 1000 रुपए था  
इस ऑनलाइन बोली के लिए ऊना जिले के बोलीदाताओं सहित प्रदेश भर के कुल 26 बोलीदाता शामिल हैं। नंबर के लिए आरक्षित मूल्य 1000 रुपए था जबकि इस नंबर को पाने के लिए होड़ कुछ इस कदर मची कि बोलीदाता ने इसे 1 करोड़ 12 लाख से अधिक तक पहुंचा दिया। अब देखना होगा कि क्या इतनी राशि पर बोलीदाता इस नंबर को हासिल करता है या फिर बोली लगाकर वह अपने कदम पीछे खींच लेता है। वैसे (एचपी 99-0009 के लिए भी 10 बोलीदाताओं ने 21,67,000 रुपए तो (एचपी 99-0005) के लिए 5 बोलीदाताओं ने 20 लाख से अधिक तो (एचपी 99-0003) के लिए 5 बोलीदाताओं ने 10,57,000 रुपए की बोली लगाई। इसी प्रकार जुब्बल के (एचपी 75-0007) नंबर के लिए 7 बोलीदाताओं ने 15 लाख 60000, (एचपी 75-0003) के लिए 11,10,000 रुपए की बोली लगाई। 

क्या बोले ऊना के बोलीदाता शिवेन जैतक
ऊना के ही बोलीदाता शिवेन जैतक ने कहा कि वह भी (एचपी 99-9999) नंबर लेना चाहते थे लेकिन बोली से इसलिए पीछे हट गए क्योंकि यह 1 करोड़ को भी पार कर गई। उन्होंने कहा कि इस बात की जांच हो कि क्या बोलीदाता वास्तव में नंबर लेने के लिए गंभीर हैं या फिर योजनाबद्ध तरीके से दूसरे बोलीदाताओं को पीछे कर बाद में इस बोली से कदम पीछे खींचकर कम राशि के आधार पर नंबर लेना चाहते हैं। सरकार को चाहिए कि बोलीदाता से 10 प्रतिशत राशि हासिल करे जो बोली के बाद अपने कदम पीछे खींचे अन्यथा ऐसे लोग शामिल होंगे जो केवल योजनाबद्ध ढंग से अपने तयशुदा नंबर हासिल करना चाहते हैं। 

वीवीआईपी नंबर लेने के लिए सबसे पहले खरीदी जाती है स्कूटी
वैसे प्रदेश में वीवीआईपी नंबर लेने के लिए लोग सबसे पहले स्कूटी खरीदते हैं। उस पर नंबर हासिल करते हैं। उसके बाद इन्हें दूसरी लग्जरी गाड़ियों पर लगाया जाता है। नंबरों से पहले धड़ाधड़ स्कूटी की आरसी के लिए दस्तावेज लिए जाते हैं। यह पूरा खेल योजनाबद्ध ढंग से खेला जाता है। जिस हिमाचल राज्य पर 75000 करोड़ रुपए का कर्ज हो, महंगाई की दुहाई दी जाती हो, बेरोजगारी का रोना रोया जाता है और डिपुओं के जरिए सस्ता राशन स्कीम चलाई जाती हो उस राज्य में वीआईपी नंबरों के लिए इस कदर की बोलियां लगना अपने आप में आश्चर्यचकित घटना है।

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Content Writer

Vijay