हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र प्रारंभ, दिवंगत नेताओं के निधन पर हुआ शोकोद्गार

punjabkesari.in Monday, Aug 02, 2021 - 05:19 PM (IST)

शिमला (योगराज) : हिमाचल प्रदेश विधानसभा का 10 दिन तक चलने वाला मानसून सत्र आज शुरू हुआ। राष्ट्रीय गान के साथ शुरू हुए मानसून सत्र में विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने सदन की कार्यवाही शुरू की। सदन दिवंगत नेताओं के निधन के शोकोदगार के साथ शुरू हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का आईजीएमसी में 8 अगस्त को निधन हुआ। जुब्बल कोटखाई के विधायक नरेंद्र बरागटा पीजीआई में 5 जून को निधन हो गया था। इसके अलावा अमर सिंह चैधरी भोरंज हमीरपुर, मंडी जोगिन्दरनगर से राम सिंह, चम्बा से मोहन लाल जो विधानसभा के सदस्य रहे उनका भी इस दौरान निधन हो गया। बजट सत्र व मानसून सत्र के बीच 5 विधानसभा सदस्यों का निधन हुआ। 

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शोकोदगार पर बोलते हुए वीरभद्र के राजनीतिक जीवन की खुलकर प्रशंसा की। जयराम ठाकुर ने कहा कि वीरभद्र सिंह मज़बूती के साथ ज़मीन में खड़े रहते थे। वीरभद्र सिंह ने 1983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चैथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने। 8 अगस्त को वीरभद्र सिंह का निधन हो गया था। नरेंद्र बरागटा के निधन पर भी शोक व्यक्त किया व इसके परिवारों को दुःख सहने की ताकत प्रदान करने की प्रार्थना की। मुख्यमंत्री ने पांच सदस्यों  के निधन पर दुःख व्यक्त किया। कोरोना व मानसून की आपदा में मारे गए लोगों के निधन पर भी मुख्यमंत्री ने दुःख ज़ाहिर किया गया। 

मुख्यमंत्री के बाद विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि 9 बार विधायक, 5 बार सांसद रहे व 6 बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह भले ही राज परिवार में पैदा हुए लेकिन 60 साल तक लोगों के दिलों में राज किया। डॉ परमार को हिमाचल का निर्माता कहा जाता है तो वीरभद्र सिंह को आधुनिक हिमाचल का निर्माता माना जाता है। हम जैसे लोगों को राजनीति में लाए व उंगली पकड़कर चलना सिखाया। हॉली लॉज में बिना समय लिए उनसे कोई भी व्यक्ति मिल सकता था। राजनीति में आदर्श स्थापित किए। वन कटान पर सख्ती से निबटे, लोकायुक्त के दायरे में मुख्यमंत्री को भी रखा। धर्मान्तरण तक का कानून सदन में लेकर आए। धर्मशाला में विधानसभा बना दी। हिमाचल को ऊर्जा राज्य बनाने में अहम भूमिका अदा की। वीरभद्र सिंह की प्रतिमा को रिज मैदान पर स्थापित करवाने की मांग उठाई। अग्निहोत्री ने नरेन्द्र बरागटा व अन्य नेताओं के निधन पर उन्हें याद किया। 

संसदीय मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वह तो वीरभद्र सिंह के निजी आवास हॉली लॉज में ही पैदा हुए। वीरभद्र सिंह धर्म कर्म से विशुद्ध हिन्दू थे। वीरभद्र सिंह ने धर्मान्तरण का बिल लाया जो समूचे भारत में पहला बिल था। ऐसा कोई गांव नही होगा जहां वीरभद्र सिंह अपने क्षेत्र में पैदल न गए हों। गरीब की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। कई स्कूल प्रदेश में लोगों की मांग पर खोले। नरेंद्र बरागटा को लेकर सुरेश भारद्वाज ने कहा कि वह उनके सहपाठी रहे। स्वयं बागवान होते हुए बागवानी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। 

कांग्रेस की तरफ से आशा कुमारी ने शोकोदगार में बोलते हुए बताया कि आज तक ऐसा नही हुआ कि किसी सत्र में दो सदस्यों की मौत के कारण शोकोदगार हुआ हो। वीरभद्र सिंह 28 साल की उम्र में महासू से सांसद बने थे। वीरभद्र सिंह युग पुरुष थे। वीरभद्र सिंह मेरे सगे मौसा थे। जिसको उन्होंने उँगली पकड़कर चलना सिखाया। वीरभद्र सिंह खुल टाइप किया करते थे। मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण करने का कानून उन्होंने लाया। वीरभद्र सिंह कॉलेज प्रोफेसर बनाना चाहते थे। संसद में 68 सदस्यों की मांग भी वीरभद्र सिंह ने उठाई थी। नरेंद्र बरागटा व अन्य सदस्यों के निधन पर भी उन्होंने शोक व्यक्त किया। शोको दगार में अन्य सदस्य भी भाग ले रहे है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

prashant sharma

Recommended News

Related News