पहाड़ में बसती है मेरी रूह, मेरा संगीत: मोहित चौहान

Wednesday, Jun 26, 2019 - 12:54 PM (IST)

धर्मशाला (सौरभ सूद): पहाड़ों से मेरा गहरा नाता है। भले ही बॉलीवुड मेरी कर्मभूमि हो पर मेरी रूह पहाड़ों में ही बसती है, मेरा संगीत यही जन्म लेता है। पहाड़ों में आकर एक अलग ही सुकून मिलता है जो शहरों की चकाचौंध में नसीब नहीं हो पाता। पहाड़ में वो माहौल है जो एक कलाकार को प्रेरणा देता है कुछ नया सोचने और नया रचने का। यह कहना है हिमाचल के सिरमौर निवासी व मशहूर बॉलीवुड गायक मोहित चौहान का। करीब 2 साल बाद निजी दौरे पर अपनी पत्नी संग धर्मशाला पहुंचे मोहित चौहान ने पंजाब केसरी के साथ खास बातचीत में कहा कि धौलाधार के आंचल में समय गुजारना उनको नई ऊर्जा से भर देता है।  

मोहित बोले धर्मशाला में कालेज के जमाने से पहाड़ चढऩा मेरा शौक रहा है। हाल ही में बतौर निर्माता सलमान खान की फिल्म नोटबुक और जॉन अब्राहम अभिनीत फिल्म रॉ के गीतों में मोहित की सुरीली आवाज सुनने को मिली है। पाश्र्व गायन की व्यस्तता के बीच अभी वह अपनी गानों की नई एलबम पर काम कर रहे हैं जिसके गीत जल्द ही सुनने को मिलेंगे। एक सवाल के जवाब में मोहित कहते हैं कि मैं हिमाचली लोकगीत पहले से गाता आया हूं और आगे भी गाना चाहता हूं। मेरी आने वाली एलबम में हिमाचली लोकगीत भी शामिल हो सकता है। 

उन्होंने रियलिटी शो के बारे पूछे सवाल के जवाब में कहा कि अब रियलिटी शो में सच्चे टैलेंट की कद्र नहीं होती है। अब सारा टी.आर.पी. का खेल बन गया है। उन्होंने कहा कि सिनेमा में फिल्म की उम्र अब 4-5 दिन की रह गई है। ऐसे में अच्छे गीत अब टी.वी. पर नहीं सुनाई देते बल्कि रेडियो स्टेशनों और इंटरनैट पर खूब चलते हैं। 

इंटरनैट ने बढ़ाया संगीत का दायरा 

मोहित कहते हैं कि इंटरनैट ने अब संगीत का दायरा व्यापक कर दिया है। पूरे विश्व में कोई भी गीत-संगीत कभी भी सुना जा सकता है। ऐसे में प्रतिभावान व मेहनती कलाकारों के लिए संभावनाओं का असीमित आसमान है। बस जरूरत है लगातार मेहनत और धैर्य की। मंजिल कभी न कभी जरूर मिलेगी। मंगलवार दोपहर बाद धर्मकोट पहुंचे मोहित ने खुशनुमा मौसम में अपने पुराने दोस्तों के साथ चाय की चुस्कियों का आनंद उठाया और पुराने दिनों की कई बातें याद कीं। उन्होंने स्थानीय गायक विक्रांत के साथ संगीत की विभिन्न विधाओं पर लंबी चर्चा भी की। 

थोड़ा चूजी हो गया हूं, अपने स्टाइल के गीत ही गाऊंगा

रंग दे बसंती, जब वी मैट, जब तक है जान व रॉकस्टार आदि फिल्मों में सुरीले गीतों से स्टार गायक बने मोहित चौहान बीते कुछ समय से बॉलीवुड फिल्मों में गिने चुने गीतों को ही आवाज दे रहे हैं। इस बारे पूछने पर वह कहते हैं कि अब मैं थोड़ा चूजी हो गया हूं। गायन का मेरा अपना अलग स्टाइल व अंदाज है। मोहित बोले, मैं अपने तरीके के गीत गाना चाहता हूं। हाल ही में संगीतकार अनु मलिक के संगीत में एक गाना कंपोज किया है।  

प्लेटफार्म मिला तो हिमाचली प्रतिभाओं को उभारूंगा

मोहित कहते हैं कि हिमाचल का रहने वाला हूं तो यहां का गीत-संगीत मेरे जीवन का हिस्सा हैं। अगर सही प्लेटफार्म मिला तो हिमाचल की प्रतिभाओं को आगे बढऩे में जरूर मदद करूंगा। हाल ही में अपनी पत्नी प्रार्थना के साथ दिल्ली में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ मुलाकात कर हिमाचल में नई फिल्म पॉलिसी का खाका तैयार किया है जिसे प्रदेश सरकार ने लागू भी कर दिया है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में फिल्मों की शूटिंग के लिए बॉलीवुड फिल्ममेकर बड़ी संख्या में प्रदेश का रुख करेंगे। 

पहाड़ी गीतों में डिजिटल संगीत के हक में नहीं

मोहित ने कहा कि वर्तमान में पहाड़ी लोकगीतों में डिटिल संगीत का इस्तेमाल बहुतायत में हो रहा है जोकि लोकगीतों की मौलिकता खत्म कर रहा है। मेरी निजी राय है कि पहाड़ी गीतों में डिजिटल संगीत यंत्रों की बजाय वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल होना चाहिए। इससे पहाड़ के गीतों की मिठास और बढ़ जाएगी।

Ekta