मोदी की पसंद ''राम'', धूमल के दबाव के आगे नहीं झुका हाईकमान

punjabkesari.in Monday, Dec 25, 2017 - 09:50 AM (IST)

शिमला: हिमाचल के पूर्व सी.एम. प्रेम कुमार धूमल का गैर-ठाकुर को सी.एम. बनाने का प्लान फेल हो गया है। उनके विरोध के बावजूद जयराम ठाकुर को हाईकमान ने सी.एम. बना दिया। ऐसा कर उसने यह संकेत दिया है कि वह धूमल के दबाव में आने को तैयार नहीं है। हालांकि धूमल ने खुद उनके नाम का प्रस्ताव रखा लेकिन पिछले कुछ दिनों में जो कुछ भाजपा में हुआ है उसने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में भाजपा सरकार की डगर कठिन होगी।


धूमल को क्या मिलेगा 
अब यह भी देखना होगा कि क्या धूमल या उनके बेटे को मोदी सरकार में स्थान मिलेगा? क्या उनको किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जाएगा? हालांकि इसकी संभावना कम है क्योंकि सूत्रों का कहना है कि धूमल हाईकमान को पहले ही कह चुके हैं  वह सक्रिय राजनीति नहीं छोड़ना चाहते हैं। अब बदलते हालात में क्या होता है यह देखने की बात होगी। क्या पार्टी उनको राज्यसभा में भेजेगी। क्या धूमल के बेटे एम.पी. ठाकुर को मोदी सरकार में मंत्री बनाया जाएगा? वह काफी समय से मंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं। अगर नड्डा सी.एम. बन जाते तो धूमल का यह सपना जल्दी पूरा हो सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। धूमल को मनाने में एक केन्द्रीय मंत्री ने अहम भूमिका अदा की है। अब क्या बात हुई है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। 


हाईकमान उपचुनाव के फेर में नहीं पडऩा चाहती थी 
भाजपा हाईकमान किसी गैर-विधायक को सी.एम. बनाकर उपचुनाव के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती थी। भाजपा हाईकमान के पास यह फीडबैक गया था कि गैर-विधायक को सी.एम. बनाने की सूरत में अगर चुनाव होता है तो जिस तरह से पार्टी के हालात हैं, भीतरघात होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो सी.एम. के चुनाव हारने की सूरत में पार्टी को बड़ा धक्का लगेगा इसलिए पहले दिन से ही विधायकों में से किसी को सी.एम. बनाने की बात कही जा रही थी।


पार्टी की फूट से मिशन 2019 को लगेगा धक्का 
इस समय हिमाचल की लोकसभा की चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर भी हमीरपुर से एम.पी. हैं। इसी तरह से शांता कुमार भी एम.पी. हैं। शांता कुमार के ये चुनाव लड़ने की संभावना कम है इसलिए उनके स्थान पर पार्टी को नए चेहरे को मैदान में उतारना पड़ेगा। जिस तरह से पार्टी में लड़ाई चल रही है उससे यह तय लगता है कि पार्टी के लिए 2019 को दोहराना कठिन होगा। 


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