जीडीपी बेहाल, आर्थिक मंदी से देश को उबारने में केंद्र विफल : रामलाल ठाकुर

Wednesday, Sep 02, 2020 - 09:47 PM (IST)

बिलासपुर (बंशीधर): कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं विधायक रामलाल ठाकुर ने केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जीडीपी के दिए गए 23.9 प्रतिशत आंकड़े पर गहरी चिंता जाहिर की है तथा कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इसे वर्ष 1996 के बाद ऐतिहासिक गिरावट माना गया है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी, जीएसटी की दरों में अनावश्यक बढ़ौतरी करने व कोरोना वायरस के दौरान बिना सोचे-समझे देश में लगाए गए लॉकडाऊन ने अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है। अब तो अमरीकी मीडिया हाऊस सीएनएन ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड रूप से सबसे तेजी से सिकुडऩे की बात कह दी है। इसका कारण अधिक बेरोजगारी, कंपनियों की नाकामी और बिगड़ा हुआ बैंकिंग सैक्टर सामने आ रहा है जोकि निवेश और खपत पर भारी पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का सपना कितना हकीकत बन सकता है, इसका अंदाजा जापान के बिजनैस अखबार निकेई एशियन रिव्यू में भारतीय वित्त आयोग के पूर्व सहायक निदेशक रितेश कुमार सिंह के उस लेख से लगाया जा सकता है जिसमें कहा गया है कि नरेंद्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को जर्जर बनाया है जोकि एक शर्मनाक बात है। उन्होंने कहा कि इसमें साफ लिखा गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी की व्यापार समर्थित छवि होने के बावजूद वे अर्थव्यवस्था संभालने में अयोग्य साबित हो रहे हैं। वर्ष 2025 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का सपना अब इनकी गलत नीतियों के कारण मुंगेरी लाल के हसीन सपने जैसा मालूम प्रतीत हो रहा है। विकास के बड़े इंजन, खपत, निजी निवेश या निर्यात ठप्प और ठंडे पड़े हैं और ऊपर से भाजपा की केंद्र सरकार के पास मंदी से बाहर निकलने और खर्च करने की क्षमता नहीं रही है, ऐसे में देश कैसे चल पाएगा, यह बड़ा चिंताजनक विषय हो गया है।

उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था के आंकड़ों के मामले में भारत की तस्वीर कुछ अलग है क्योंकि यहां अधिकतर लोग अनियमित रोजगार में लगे हैं, जिसमें काम के लिए कोई लिखित करार नहीं होता और अक्सर ये लोग सरकार के दायरे से बाहर होते हैं। इनमें ऑटो रिक्शा वाले, टेलर, दिहाड़ी मजदूर और किसान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार, होटल और ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्र में 47 फीसदी की गिरावट आई है। ऐसी देश की विकट स्थिति को संभालना देश के प्रधानमंत्री के लिए असंभव है और आमजन तो आर्थिकी को लेकर त्रस्त है।

Vijay