केंद्र सरकार ने पेश किया अब तक का सबसे फ्लॉप बजट : राजेंद्र राणा

Saturday, Feb 01, 2020 - 06:03 PM (IST)

हमीरपुर (ब्यूरो): कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने केंद्रीय बजट-2020 को अब तक का होपलैस बजट करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह जुमलों-शगूफों पर आधारित है, जिसमें आम आदमी के लिए आंकड़ों की जादूगरी में सरकार कोई राहत नहीं दे पाई है। उन्होंने  कहा कि अब इस बजट में ऊर्जादाता के नाम पर किसान को ठगने का मंसूबा तैयार किया गया है। यहां तक कि किसान की 2014 से आमदन दोगुनी करने चली सरकार की उपज इश्योरैंस योजना पूरी तरह फ्लॉप है। आंकड़ों का मायाजाल सरकार ने ऐसे रचा है कि अब 5 लाख 1 रुपया कमाने वालों को भी 50,000 का टैक्स देना होगा। पहले एटीसीएनईसी लाइफ इंश्योरैंस में टैक्स रिबेट मिलता था लेकिन अब यह डिडक्शन भी सरकार ने छीन ली है, जिसका सीधा असर बैंकों, डाकघरों के निवेश पर पड़ेगा।

आम आदमी अपनी पूंजी को इन्हीं उपक्रमों में रखकर छोटी-मोटी कमाई का जरिया बनाता है लेकिन अब सरकार उसको भी छीनने का संदेश दे चुकी है। पिछले बजट में 100 स्मार्ट सिटी की घोषणा करने वाली बीजेपी अभी तक देश में 1 स्मार्ट सिटी नहीं बना पाई है और अब नए बजट में पीपीपी मोड के शगूफे से जनता को बेवकूफ बनाना चाह रही है। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि अब क्या स्मार्ट सिटी में रहने वाले लोग सरकार की नीति के अनुसार क्या पीपीपी मोड में बनने वाले स्मार्ट सिटी में रहने के लिए अलग से पैसे भरेंगे। इसी तरह शिक्षा में एफडीआई को लाकर अब शिक्षा के क्षेत्र में मनमानी लूट चलेगी।

किसानों की उपज के लिए कोई अधिकतम मूल्य तय न कर पाने वाली सरकार किसानों की आमदन को दोगुना करने की बात कैसे कर रही है यह समझ से बाहर है। शिक्षा के साथ चिकित्सा क्षेत्र में जब मैडीकल कॉलेज भी पीपीपी मोड में बनेंगे तो पहले से निरंकुश होते जा रहे चिकित्सा क्षेत्र में भी आम आदमी का इलाज नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि जुमलों-शगूफों के इस बजट की न कोई दशा है और न ही दिशा है। उन्होंने कहा कि समझ से बाहर यह है कि जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को स्पैशल पैकेज केंद्र सरकार की ओर से मिल सकता है तो राज्य से संबंध रखने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर बताएं कि हिमाचल के लिए क्यों नहीं।

उन्होंने कहा कि टूरिज्म के लिए 2500 करोड़ व कौशल विकास भत्ते के लिए 3000 हजार करोड़ में से प्रदेश के हिस्से में क्या आएगा। इस बजट से समझा जा सकता है कि जो लोग प्रदेश में आपार पर्यटन संभावनाओं की वकालत करते नहीं थकते थे। अब वे जवाब दें कि इस बजट में प्रदेश की हिस्सेदारी में कितनी आपार संभावनाओं का दोहन किया जा सकता है। कुल मिलाकर यह बजट ओल्ड स्कीम बनाम नई स्कीम बनकर रह गया है।

Vijay