‘मिशन शिमला’ के लिए सरकार पूरी तरह तैयार

Monday, May 08, 2017 - 10:34 AM (IST)

शिमला: राजधानी के चुनावी रण के लिए राज्य सरकार पूरी तरह से तैयार है। सरकार के मुखिया वीरभद्र सिंह ने अपने सिपहसालार मंत्रियों व विधायकों को कमर कसने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने तत्काल चुनाव करवाने के लिए हां कर दी है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह ने निगम चुनाव का मुद्दा उठाया था। उनका कहना था कि चुनाव सिंबल पर होने चाहिए। इसके लिए उन्होंने पूर्व में सरकार को पत्र भी लिखा था लेकिन न होने पर भी उन्हें कोई एतराज नहीं है। उन्होंने एक और तर्क रखा कि अब चुनाव तय समयावधि के भीतर न हों। सी.एम. ने भी उनके तर्क को माना। उद्योग मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री भी वीरभद्र सिंह की राय पर हामी भरते नजर आए। असल में कांग्रेस चुनाव को टालना चाहती है लेकिन सरकार एम.सी. की बजाय संगठनात्मक चुनाव अभी नहीं चाहती। 


निगम के चुनाव जल्द करवाने पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं
निगम के चुनाव जल्द करवाने पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। हां, कांग्रेस को इसमें जरूर एतराज है। संगठन के कई नेताओं का मानना है कि अगर अभी चुनाव हुए तो मोदी लहर में बड़ा नुक्सान होगा। इसके लिए वोटर लिस्ट में गड़बडिय़ों को ढाल बनाया जा रहा है। इस लिस्ट में जो भी गड़बडिय़ां उजागर हुई हैं, उनको ठीक करने का जिम्मा भी राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार का ही है। ऐसे में संगठन अपनी ही सरकार से इसे दुरुस्त करने की जोरदार पैरवी क्यों नहीं कर पा रहा है? क्या संगठन सरकार के मातहत कार्य करता है? दूसरा इससे सरकार और संगठन के बीच तालमेल न होने की बात भी प्रमाणित होती है। तालमेल के अभाव को दूर करने के लिए सरकार और संगठन एक मंच पर भी आ सकते हैं। कांग्रेस के रणनीतिकार इसके लिए योजना तैयार करने में जुटे हैं। वे चाहते हैं कि आपस के गिले-शिकवे बैठक के माध्यम से मिटें। सी.एल.पी. बैठक का एक मकसद विधायकों के आपसी मनमुटाव दूर करना भी था। ये कितने मिट पाए यह तो सरकार जाने लेकिन जल्द ही कांग्रेस ऐसी बैठक कर सकती है, जिसमें सरकार और पार्टी दोनों एक जगह मंथन करें। यह मंथन पहले निगम चुनाव पर होगा और बाद में विधानसभा चुनाव पर।


कांग्रेस की कोशिशों को कामयाबी मिली तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी भाजपा 
उधर, भाजपा नगर निगम के चुनाव तुरंत चाहती है। वह पार्टी के पक्ष में बने माहौल को हर हाल में भुनाना चाहती है। इसके लिए संगठनात्मक तैयारियां जोरों पर हैं। कांग्रेस में ये तैयारियां कहीं नजर नहीं आ रही हैं। अगर चुनाव टालने की कांग्रेस की कोशिशों को कामयाबी मिली तो भाजपा कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। पार्टी इसके लिए संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देगी। शिमला के विधायक सुरेश भारद्वाज की मानें तो चुनाव को आगे नहीं टाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। भारद्वाजकानून के भी जानकार हैं। उनका कहना है कि जनता के हित में यही है कि समय पर चुनाव हों। उन्होंने कहा कि भाजपा काडर आधारित पार्टी है। इसके कार्यकर्ता अनुशासन के दायरे में रह कर पूरी तैयारियों में जुटे हुए हैं। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि कम्युनिस्टों का 5 साल का कुशासन शिमला ने देखा है। लोग अब कम्युनिस्टों पर कतई भरोसा नहीं करेंगे। कांग्रेस की हालत तो पूरे देश में ही पतली हो चुकी है, शिमला में भी कांग्रेस और कमजोर पड़ जाएगी। यहां निगम चुनाव में कमल ही खिलेगा। 


बैठक में प्रमुखता से उठाया था मुद्दा
कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र के एम.सी. में अब 12 वार्ड आते हैं। यहां के कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह ने माना कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक में निगम चुनाव पर चर्चा हुई। इसमें उन्होंने राय रखी कि चुनाव में संबंधित विधायकों की भी सहमति ली जाए। उन्होंने बताया कि वह चुनाव समय पर करवाने के पक्ष में हैं। इस बात से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी सहमत दिखे। विधायक ने बताया कि ज्यादातर विधायक अभी चुनाव चाहते हैं। उनका कहना है कि बेहतर होता कि चुनाव पार्टी सिंबल पर होते। उन्होंने इस मसले को पिछले दिनों मुख्यमंत्री के सामने भी उठाया था। अब ऐसा संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए सभी मंत्री, सी.पी.एस. व विधायक मिलकर जोर लगाएंगे। उन्होंने दावा किया कि चुनाव में कांग्रेस पार्टी समर्थित उम्मीदवारों की जीत होगी। इसमें भाजपा और कामरेडों के सपने पूरे नहीं होंगे।