जल सरंक्षण को जन आंदोलन बनाना जरूरी : रामलाल मारकंडा

Thursday, Sep 12, 2019 - 04:10 PM (IST)

इंदौरा (अजीज): जल शक्ति अभियान के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए चौधरी सरवण कुमार हि.प्र. कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के तत्वावधान में कृषि विज्ञान केंद्र कांगड़ा तथा आतमा प्रोजैक्ट द्वारा संयुक्त रूप से इंदौरा के सूरजपुर में वीरवार को किसान मेले का आयोजन किया गया, जिसमें कृषि, जनजातीय विकास, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की जबकि विधायक रीता धीमान व गगरेट के विधायक राजेश ठाकुर ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर शिरकत की। इस मेले में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया।

घटता भू-जल स्तर एक गम्भीर चिंतनीय विषय

इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक से भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया है जो एक गम्भीर चिंतनीय विषय है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते इस ओर कारगर कदम नहीं उठाए गए तो निकट भविष्य में इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि जल सरंक्षण के मुद्दे पर शीघ्र ही ध्यान देने और इसे एक जन आंदोलन बनाने के प्रयासों की तत्काल आवश्यकता है ताकि वर्तमान और भविष्य की पीढिय़ों के लिए पर्याप्त जल का सरंक्षण किया जा सके। उन्होंने कहा कि आज कई जगह पीने के पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है तो सिंचाई के लिए जल कहां से उपलब्ध हो पाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार जल शक्ति अभियान को विशेष गति प्रदान करने के लिए प्रयासरत है, जिसके लिए जनसहयोग अति आवश्यक है। उन्होंने किसानों को ड्रिप इरिगेशन प्रणाली को अपनाने पर बल देने की बात कही तो वहीं विभागों को किसानों को इस बारे जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित स्कूली बच्चों से भी जल शक्ति अभियान के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।

रसायनिक की अपेक्षा प्राकृतिक खेती को अपनाना बहुत जरूरी  

  उन्होंने कहा कि रसायनों के अत्याधिक प्रयोग से वाष्पीकरण से जहां ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, वहीं रसायन धरातल में जाने से पेयजल दूषित हो रहा है। इसलिए रसायनिक खेती की अपेक्षा प्राकृतिक खेती को अपनाना बहुत जरूरी है। उन्होंने गाय के गोबर व मूत्र से जीवामृत तैयार करने से खेती की लागत में कमी आएगी। उन्होंने कीटनाशकों तथा उर्वरकों के अत्याधिक इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए किसानों से जैविक खेती तथा जीरो बजट प्राकृतिक खेती को अपनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इसके अपनाने से जहां कृषि पर लागत कम होगी, वहीं उनकी आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी। उन्होंने क्षेत्र के किसानों को प्राकृतिक खेती करने पर 25 लाख रुपये के बनाम दिए जाने की घोषणा भी की।

सब्जी मंडी व अनाज मंडी खोलने की घोषणा

उन्होंने कृषि अधिकारियों से कहा कि वे शून्य लागत प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक व प्रेरित करें। उन्होंने अधिकारियों से कृषि योजनाओं को धरातल पर उतारने का आह्वान किया ताकि किसानों को आधुनिक तकनीकों बारे जानकारी मिल सके। उन्होंने सब्जी मंडी व अनाज मंडी खोले जाने की घोषणा करते हुए कहा कि 2 माह तक यहां दोनों मंडियों के लिए 15-15 बीघा जमीन उपलब्ध करवा दें। इसके बाद माननीय मुख्यमंत्री या वे स्वयं इसका शिलान्यास करेंगे। इससे पहले उन्होंने जल शक्ति अभियान पर प्रकाशित प्रचार सामग्री का भी विमोचन किया। वहीं विभिन्न विभागों, किसानों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का भी अवलोकन किया।

इंदौरा में भू-जल संकट से पैदा हो सकता है खाद्य संकट : रचना भट्टी

कार्यक्रम में भारत सरकार की केंद्रीय भू-जल बोर्ड की वैज्ञानिक रचना भट्टी ने इंदौरा विधानसभा क्षेत्र में भविष्य में संभावित भू-जल संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भू-जल संकट से केवल जल संकट नहीं होगा बल्कि इंदौरा में भू-जल संकट से खाद्य संकट पैदा हो सकता है क्योंकि यदि सिंचाई के लिए जल ही नहीं रहेगा तो फसलें, खासकर धान आदि की उपज प्रभावित होगी और क्षेत्र में खाद्य संकट पैदा होना निश्चित है। उन्होंने उपस्थित किसानों को शून्य लागत खेती करने के लिए प्रेरित किया, जिससे कम जल से अधिक फसल तैयार हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि यही हालात रहे तो ऊना की तरह इंदौरा में भी विभिन्न सरकारी अनुदान बंद कर दिए जाएंगे। उन्होंने प्राकृतिक एवं पुरातन जल स्त्रोतों के रखरखाव की बात कही।

इंदौरा के किसानों-बागवानों से न हो भेदभाव :  रीता

इस अवसर पर विधायक रीता धीमान ने कहा कि जिस तरह से ऊपरी क्षेत्र में बर्फ अधिक पडऩे से सेब के बागवानों को नुक्सान पहुंचता है या किसी प्राकृतिक कारण से सेब उत्पादन कम हो तो उन्हें सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाता है, उसी तरह इंदौरा में मुख्यत: आम, लीची व संतरे को प्राकृतिक नुक्सान पर मुआवजा दिया। उन्होंने कहा कि इंदौरा के किसानों, बागवानों से भेदभाव न हो। वहीं उन्होंने डमटाल में सब्जी मंडी व अनाज मंडी की मांग भी मंत्री के समक्ष रखी। उन्होंने कहा कि हमें अपने बेहतर कल के लिए जल का सरंक्षण, संवद्र्धन और उसका दक्ष प्रबंधन करना जरूरी है लेकिन प्रकृति के अंधाधुंध दोहन से यह समस्या उत्पन्न हुई है। इसलिए पानी के सरंक्षण के प्रति सजग और संवेदनशील बनना बेहद जरूरी है। हमें जल संचय के प्रति मिलजुल कर सामूहिक प्रयास करने होंगे। इस अवसर पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रसार निदेशक डॉ. यशपाल ठाकुर ने किसानों को वर्षा जल संग्रहण तथा कम जल उपयोग से कृषि के गुर सिखाए।

शून्य लागत प्राकृतिक खेती पर दी जानकारी

इस मौके पर वैज्ञानिकों ने शून्य लागत प्राकृतिक खेती पर भी जानकारी दी। विशेषज्ञों ने कहा कि देसी नस्ल की गाय के बिना प्राकृतिक खेती की कल्पना अधूरी है। जिसके गोबर व गौ मूत्र से ही प्राकृतिक खेती सम्भव है। इस मौके पर क्षेत्र के शून्य लागत खेती के तहत खेतबाड़ी करने वाले प्रगतिशील किसान रशपाल गुलेरिया तथा युद्धवीर सिंह ने उनके द्वारा शून्य लागत प्राकृतिक खेती के लिए उपयोग में लाई जा रही तकनीकों बारे लोगों को जानकारी दी।

ये रहे मौके पर मौजूद

इस अवसर पर गगरेट के विधायक राजेश ठाकुर, बीडीसी चेयरमैन रजिंद्र पठानिया,एसडीएम बलवान चंद मंढोत्रा, डीआरडीए के परियोजना अधिकारी मनीष शर्मा, बीडीसी चेयरमैन राजिन्दर पठानिया, कृषि विभाग के सयुंक्त निदेशक डॉ. एनके बधान, उप कृषि निदेशक डॉ. एनके धीमान, जिला कृषि अधिकारी डॉ. कुलदीप धीमान, आतमा के परियोजना निदेशक दलजीत कुमार अवस्थी,बीडीओ सुशीला शर्मा, कृषि वैज्ञानिक व जल प्रबंधन के विशेषयज्ञ डॉ. संजय शर्मा, डॉ. सुरेश ठाकुर, डॉ. दीप कुमार, डॉ. नीतू, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मनोज गुप्ता, डॉ. अरुण व्यास, भाजपा मंडलाध्यक्ष घनश्याम संबियाल, महामंत्री अश्वनी शर्मा, अनित कटोच, भाजपा नेता शाम लाल धीमान सहित कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि विभाग के वैज्ञानिक किसान-बागवान, स्कूली बच्चे व बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे।

Vijay